'आदिवासियों का रक्षा कवच सीएनटी-एसपीटी'
-आदिवासियों के सामाजिक अस्तित्व पर हमले की साजिश को लेकर प्रेस वार्ता आयोजित
-'आदिवासियों के सामाजिक अस्तित्व पर हमले की साजिश' पर सम्मेलन 6 व 7 को बिष्टुपुर में CHAIBASA: आदिवासियों के सामाजिक अस्तित्व पर हमले की साजिश विषय को लेकर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन माइकल जॉन ओडिटोरियम बिष्टुपुर जमशेदपुर में म् व 7 अगस्त को आयोजित किया जाएगा। इसी को लेकर एसपीजी मिशन आवासीय कार्यालय में रविवार को एक प्रेस वार्ता में रमेश हांसदा ने कही। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में आदिवासी के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। यह आरक्षण चाहे नौकरी पेशा में हो या राजनीति में। हमारी जमीन की रक्षा करने के लिए झारखंड में सीएनटी और एसपीटी दो एक्ट है जो आदिवासियों का रक्षा कवच है। स्थिति भयावह हो गईराजनीतिक सामाजिक एवं विभिन्न आंदोलन में हम अपने सीएनटी और एसपीटी की मजबूती की बात करते हैं। लेकिन एक पहलू जिसे हम नजरंदाज करते रहने के कारण आज स्थिति भयावह हो गयी है और यदि समय रहते नहीं चेता गया तो सब कानून होते हुए भी आदिवासियों की हालत बिना हड्डी मांस शरीर की तरह हो जाएगी। आदिवासी जमीन हड़पने के लिए झारखंड राज्य में गैर आदिवासी धड़ल्ले से आदिवासी लड़कियों से शादी कर रहे हैं। शादी करने के बाद गैर आदिवासी अपनी मनपसंद जमीन आदिवासी पत्नी के नाम से खरीद रहे हैं। झारखंड में पंचायत चुनाव में आदिवासियों को अनुसूचित क्षेत्र में शत प्रतिशत आरक्षण है। इसके बावजूद इसमें भी सेंधमारी जबरदस्त तरीके से हो रही है। ऐसे कई उदाहरण अब देखने को मिल रहे हैं कि आरक्षण सीटों पर वैसी महिलाओं को भी चुनाव में लड़ाया जा रहा है, जिसने गैर आदिवासी लड़के से शादी की है। प्रेस वार्ता में संयोजक मंडली के जयपाल मुर्मू, सुरेंद्र टुडू, शंकर सुरेन शामिल थे।