राज्य को हर महीने हो रहा 600 करोड़ रुपए का घाटा
जमशेदपुर (ब्यूरो): झारखंड पेट्रोल डीलर एसोसिएशन की मानें तो महीने में झारखंड सरकार को 600 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। झारखंड में अगर केवल जमशेदपुर ट्रक ट्रेलर ऑनर्स एसोसिएशन की बात करें तो एसोसिएशन से करीब 2800 गाडिय़ां जिनमें ट्रक और ट्रेलर शामिल हैं, जुड़े हैं। इन वाहनों से ज्यादातर आयरन ओर की ढुलाई होती है और ये सभी उड़ीसा और कोल्हान के विभिन्न क्षेत्रों से लेकर बंगाल और उत्तर प्रदेश की ओर जाते हैं। केवल माइनिंग क्षेत्र की बात करें तो केवल उड़ीसा के माइनिंग क्षेत्र से प्रतिदिन करीब 5000 वाहन आयरन ओर लोड कर निकलते हैं। ये सभी वाहन झारखंड होकर गुजरते हुए पश्चिम बंगाल और यूपी की ओर जाते हैं। खडग़पुर या मिदनापुर में भरवाते हैं डीजल
ट्रक ट्रेलर एसोसिएशन के महासचिव मनीष कुमार ने बताया कि केवल झारखंड में ढुलाई करने वाले वाहन यहां से डीजल लेते हैं, लेकिन लंबी दूरी वाले वाहन आम तौर पर पश्चिम बंगाल में खडग़पुर या मिदनापुर में वाहन में डीजल भरवाते हैं। इसका कारण यह है कि यहां डीजल झारखंड से 2.50 से 3 रुपए तक सस्ता है। यानी वहां उन्हें करीब-करीब 90 रुपए प्रति लीटर डीजल मिल जाता है।यूपी में इंट्री के बाद भरवाते हैं डीजल
इसी तरह यूपी की ओर जाने वाले वाहन जो मुजफ्फरनगर होकर जाते हैं वे गढ़वा के बाद यूपी बॉर्डर के पास डीजल लेते हैं। यूपी में डीजल झारखंड से 2 से ढाई रुपए सस्ता पड़ता है। इससे वाहन मालिकों को काफी बचत होती है। उनका कहना है कि अगर झारखंड में डीजल लेंगे तो उनका काफी नुकसान होगा। रोज बंगाल में लेते हैं 15 लाख लीटर डीजलअगर उड़ीसा के माइनिंग सेक्टर से निकलने वाले वाहनों की बात करें तो प्रतिदिन 5000 वाहन लोड कर निकलते हैं। इनमें से ज्यादातर पश्चिम बंगाल में डीजल भरवाते हैं। ट्रक ट्रेलर एसोसिएशन के मुताबिक वहां उन्हें 90 रुपए प्रति लीटर डीजल मिलता है। इस तरह अगर हम 5000 वाहनों के डीजल की कीमत का आकलन करें तो प्रतिदिन इनके द्वारा करीब 300 लीटर डीजल भरवाया जाता है, जो 15 लाख लीटर होता है। रोज हो रहा 13.50 करोड़ रुपए का लॉस
केन्द्र सरकार द्वारा विगत 4 नवंबर को दीपावली के मौके पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की गई थी। अब तक 20 दिन हो चुके हैं और झारखंड में पेट्रोलियम पदार्थों पर से वैट में कटौती नहीं की गई है। ऐसे में केवल माइनिंग सेक्टर की 5000 वाहनों की बात करें तो प्रतिदिन 15 लाख लीटर डीजल की कीमत 90 रुपए के हिसाब से 13.50 करोड़ रुपए होती है। बिक्री 1000 केएल से घटकर 300 केएल पर पहुंचीअगर पूरे झारखंड की बात करें तो वैट में कटौती न होने के कारण झारखंड सरकार को अब तक करीब 600 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इस संबंध में झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के राजीव सिंह कहते हैं कि बड़े वाहनों द्वारा झारखंड में डीजल न भरवाने के कारण काफी नुकसान हो रहा है। पहले हजारीबाग और अन्य जगहों पर जहां प्रतिदिन 1000 केएल डीजल की बिक्री होती थी वह घटकर 300 केएल पर आ गई है।एसोसिएशन द्वारा कई बार सरकार से बात की जा चुकी है और उन्हें समझाया भी गया है, लेकिन ऐसा लगता है कि लोग अभी मानसिक रूप से तैयार नहीं है। इसका खामियाजा राज्य सरकार को राजस्व नुकसान के रूप में भुगतना पड़ रहा है। वाहन चालक दूसरे राज्यों से डीजल भरवा रहे हैं।-राजीव सिंह, सेक्रेटरी, झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशनखनन क्षेत्र से लोड कर निकलने वाले वाहन पश्चिम बंगाल या यूपी में डीजल लेते हैं। इससे प्रति लीटर ढाई से 3 रुपए की बचत होती है। अगर ऐसा न करें तो काफी नुकसान हो जाएगा।
अमरेन्द्र कुमार, ट्रक ओनर
एसोसिएशन से ही 2800 गाडिय़ां जुड़ी हैं और माइनिंग क्षेत्र से प्रतिदिन 5000 गाडिय़ां निकलती हैं जो बंगाल या यूपी में डीजल लेती हैं। इससे मालिकों को बचत होती है, अन्यथा काफी नुकसान हो जाएगा। मनीष कुमार, महासचिव, झारखंड ट्रक-ट्रेलर एसोसिएशनवाहन मालिकों को कहीं भी अगर 50 पैसे कम डीजल मिलता है तो वे वहीं लेंगे, क्योंकि वे 300 से 400 लीटर डीजल लेते हैं और इस कारण ज्यादा कीमत पर लेने से प्रॉफिट घट जाता है। इस कारण सभी झारखंड से बाहर डीजल ले रहे हैं।पिंटू कुमार, बस संचालक