एमजीएम हॉस्पिटल में मरीज ने किया सुसाइड
JAMSHEDPUR: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मंगलवार को एक बड़ी घटना घटी। दोपहर में मेडिकल वार्ड के शौचालय में एक मरीज ने फांसी लगाकर जान दे दी। इससे अस्पताल में आफरा-तफरी मच गई। अस्पताल प्रबंधन ने इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस जांच में जुट गई है। इधर, अस्पताल प्रबंधन भी अपने स्तर से जांच कर रही है। अभी तक मौत के कारण का पता नहीं चल सका है।
पहला मामला नहींहालांकि, एमजीएम अस्पताल में यह पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व भी मेडिकल वार्ड से कई मरीज कूद कर जान दे दी है। इसे देखते हुए पूरे अस्पताल के खिड़की में लोहे की जाली लगाई गई है। सोमवार को फांसी लगाकर जान देने वाले मरीज का नाम कैलाश पूर्ति (35) है। वह मानगो उलीडीह निवासी है। छह मई को उसे पेट में तेज दर्द होने पर भर्ती कराया गया था। मृतक के स्वजनों ने बताया कि उसका पेशाब होने में परेशानी होती थी, जिसके कारण वे खाना-पीना भी छोड़ दिया था और काफी कमजोर हो गया था। टीबी रोग से भी वह ग्रस्त था। हालांकि, मृतक की बीएचटी (बेड हेड टिकट) पेपर की भी जांच की जा रही है। एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ। नकुल प्रसाद चौधरी ने कहा कि अभी पूरे मामले की जांच की जा रही है। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
पत्नी गई थी पानी लेने मृतक की पत्नी गीता पूर्ति ने बताया कि वे पानी लेने के लिए नीचे उतरी थी। इस दौरान उनका दुपट्टा छूट गया। वापस आकर देखी तो बेड पर न तो उनके पति है और न ही दुपट्टा। इसके बाद बगल के मरीज से पूछने पर उन्होंने बताया कि शौचालय गए हैं। इस दौरान वे इंतजार करने लगी। जब काफी देर के बाद शौचालय का दरवाजा नहीं खुला तो उनको शंका हुआ। इसके बाद आवाज देने लगी। फिर भी दरवाजा नहीं खुला। तब बाकी मरीजों के सहयोग से दरवाजा तोड़ा गया तो देखा कि वह दुपट्टा के सहारे झूले हुए हैं। इसके बाद उसे उतार कर इमरजेंसी विभाग में ले जाया गया, जहां पर चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बीमारी से तंग था कैलाशमृतक के स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। पत्नी ने बताया कि बीमारी से तंग आकर पति ने जान दे दी। चार साल से उन्हें पेशाब होने में परेशानी हो रही थी। इस दौरान उन्हें इलाज नहीं कराया। जब स्थिति गंभीर हुई थी उन्हें एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन यहां भी उन्हें इलाज नहीं मिल सका। न तो डॉक्टर देखने आ रहे थे और न ही सभी दवा मिल पा रही थी, जिसके कारण उन्होंने आत्महत्या करने की। मरीज बेड नंबर 48 पर भर्ती था।