58.8 परसेंट स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के
जमशेदपुर (ब्यूरो): दो साल के मैनेजमेंट के कोर्स में अब तक इंजीनियरों का दबदबा रहता था, लेकिन इस बार ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट में ये मिथक टूटे हैं। सत्र 2022-2024 में ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट में 58.8 प्रतिशत विद्यार्थी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के हैं, लेकिन पहली बार संस्थान में 41.2 प्रतिशत नॉन इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के विद्यार्थियों को भी एडमिशन मिल सका है। हालांकि बिजनेस मैनेजमेंट में कुल 66.6 प्रतिशत इंजीनियरिंग जबकि 33.4 प्रतिशत नॉन इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के विद्यार्थियों का चयन किया गया है। ये बातें शुक्रवार को नये शैक्षणिक सत्र 2022-2024 के उद्घाटन सत्र शुरू होने के मौके पर उभर कर सामने आई।नए सेशन की शुरुआत
एक्सएलआरआई में शुक्रवार से नये सत्र की शुरुआत की गयी, जिसमें बिजनेस मैनेजमेंट, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट के साथ ही एक्सपीजीडीएम के अलावा अन्य सभी कोर्स में एडमिशन लेने वाले सभी 555 स्टूडेंट्स के साथ ही उनके माता-पिता, संस्थान के डायरेक्टर, डीन, 70 शिक्षकों के साथ ही गैर शैक्षणिक कर्मचारी भी मौजूद थे। एक्सएलआरआई के डायरेक्टर फादर पॉल फर्नांडीस एसजे, डीन एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस फादर डोनाल्ड डी सिल्वा एसजे, डीन एकेडमिक्स प्रो। एके पाणि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। डीन एकेडमिक्स प्रो। एके पाणि ने जहां स्वागत भाषण दिया वहीं डीन एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस फादर डोनाल्ड डी सिल्वा एसजे ने प्रार्थना की।प्रार्थना करने का आह्वान मौके पर सभी छात्रों को एक्सएलआरआई जमशेदपुर और दिल्ली कैंपस के 70 से प्रोफेसरों से मिलवाया गया। डायरेक्टर फादर पॉल फर्नांडीस एसजे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज से आप सभी एक परिवर्तनकारी यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं। उन्होंने सभी से सत्य और ज्ञान के लिए प्रार्थना करने का आह्वान किया। कहा कि सत्य प्रकाश के रूप में आता है, अपने भीतर एक दीपक जलाएं और उत्कृष्टता का लक्ष्य रखें। उन्होंने कहा कि एक्सएलआरआई एक जुनून है और आपने इस यात्रा का हिस्सा बनकर अपने लिए सही चुनाव किया है। इस दौरान बताया गया कि एक्सएलआरआई ने हमेशा लिंगानुपात पर बल दिया है। भारत में प्रबंधन का अध्ययन करने वाली कई पहली महिलाएं एक्सएलआरआई से हैं। एक्सएलआरआई मजबूत मूल्यों के साथ एक जेसुइट संस्थान होने के नाते, न केवल महिलाओं को बहुत सम्मान देता है, बल्कि उन्हें सुरक्षित और सशक्त भी महसूस कराता है।