हर साल डेढ़ लाख लोग गंवा रहे जान, बंद हो शराब
JAMSHEDPUR : भारत में हर साल करीब डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते है। इसमें 70 फीसद मरीज हेड इंज्जरी के शामिल होते है। इस गंभीर विषय पर कटक के न्यूरो सर्जन डॉ। एसएस मिश्रा ने एक अध्ययन किया है। इसमें पाया गया है कि शराब पीने के बाद लोग कलम भी नहीं संभाल पाते है। यह महत्वपूर्ण बाते देश भर से एकत्र न्यूरोसर्जन ने मानगो परडीह स्थित वेब इंटरनेशनल में आयोजित सेमीनार में बताई। बताते चले कि पूर्वी भारत के न्यूरोसाइंटिस्टों का 33वां वार्षिक सम्मेलन पहली बार जमशेदपुर में हो रहा है। जिसमें देश के 300 डॉक्टर शामिल होंगे। शुक्रवार को तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। पहले दिन दस चिकित्सकों ने व्याख्यान दिया। कार्यक्रम में शनिवार को मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू व विशिष्ट अतिथि के रूप में झारखंड स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ। नीतिन मदन कुलकर्णी शामिल होंगे। वर्कशॉप में डॉ। एसएन मिश्रा ने कहा कि अभी तक मेडिकल साइंस में कहीं नहीं पाया गया है कि शराब पीने से फायदा होता है। बल्कि सेहत को नुकसान ही पहुंचाता है। इससे किडनी, लीवर सहित शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंग क्षतिग्रस्त हो जाते है। यहां तक की शराब सोचने की शक्ति को भी खत्म कर देता है। इससे इंसान अच्छा और बुरा नहीं सोच पाता है। इसी वजह से शराब पीने के बाद लोग गलत कदम या दुर्घटना के शिकार अधिक होते है। कार्यक्रम में मंच का संचालन डॉ। संजीव सिन्हा व डॉ। एम रविंद्र नाघ ने किया। इस अवसर पर आयोजक समिति के सचिव डॉ। एमएन सिंह, आयोजक समिति के चेयरमैन डॉ। एस रावल, डॉ। फते बहादुर सिंह, डॉ। विजय अग्रवाल, डॉ। फिरोज अहमद सहित अन्य डॉक्टर उपस्थित थे।
ट्रामा सेंटर की कमी डॉ। एसएस मिश्रा ने कहा कि दुर्घटना में शिकार हुए लोगों के लिए ट्रामा सेंटर जरूरी है। इसकी कमी होने की वजह से घायलों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पाती और उसकी जान चले जाती है। सरकार ने हाइवे में ट्रामा सेंटर खोलने की योजना पर काम भी कर रही थी लेकिन वह अबतक धरातल पर नहीं उतर सका है। दुर्घटना में घायल लोगों को एक से दो घंटे के अंदर उसे बेहतर इलाज मिलने चाहिए। 200 में एक व्यक्ति मिर्गी का शिकारकोलकाता स्थित नारायणा हृदयालय के डॉ। हसीब हसन ने बताया कि दो सौ में एक लोगों को मिर्गी की बीमारी होती है। ब्रेन के अंदर इंफेक्शन, हेड इंज्यूरी व जन्म के समय शिशु के ब्रेन पर दबाव पड़ने की वजह से मिर्गी की बीमारी होती है। 99 फीसद लोगों को मिर्गी का दौरा दो से तीन मिनट के लिए आती है। बाकि एक फीसद गंभीर मिर्गी होता है, जिसमें जान जाने की संभावना अधिक होती है। देश में 50 लाख मिर्गी के रोगी है। 60 से 70 फीसद रोगी को दवा खिलाकर बीमारी नियंत्रित किया जाता है। जबकि 30 से 40 फीसद रोगी को दो से तीन साल तक दवा खिलाकर बंद किया जाता है।
इन डॉक्टरों ने दिया व्याख्यान - कटक के डॉ। एसएस मिश्रा ने हेड इंज्यूरी पर व्याख्यान दिया - लखनऊ से आए डॉ। संजय बिहारी ने ब्रेन हेमरेज पर व्याख्यान दिया - दिल्ली से आए डॉ। तारिक मतीन ने क्रिटिकल केयर न्यूरोलॉजी पर अपना अनुभव शेयर किया - सिलीगुड़ी से आए डॉ। एस प्रकाश ने बताया कि कैसे लोगों की रोशनी अचानक चले जाती है - कोलकाता से आए डॉ। हसीब हसन ने मिर्गी बीमारी के बारे में बताया - कोलकाता से आए डॉ। उज्जवल राय ने मूवमेंट डिसऑर्डर के बारे में जानकारी दिया