MillennialsSpeak : जमशेदपुर में #RaajniTEA विदेशों से काला धन वापस लाने वाले को देंगे वोट
JAMSHEDPUR: दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से साकची मिनी बस स्टैंड में आयोजित मिलेनियल्स स्पीक में 'नोटबंदी व काले धन की वापसी में सरकार की सफलता' विषय पर यूथ ने राय रखी। नोटबंदी की सफलता के प्रश्न में मिलेनियल्स एक मत नहीं दिखे किसी ने इसे सरकार का साहसिक फैसला तो किसी ने इसे सरकार अच्छी कोशिश का तमगा दिया। इस दौरान नोटबंदी के चलते परेशान हुए युवाओं ने इसे सरकार की असफल नीति स्वीकारा। युवाओं ने अपनी राय देते हुए कहा कि नोटबंदी करने से पहले सरकार को प्रापर मैनेजमेंट करके ही नोटबंदी की घोषणा करनी चाहिए थी। वहीं दूसरे युवाओं ने इस सरकार का साहसिक फैसला कहते हुए देश में जमा हो रही ब्लैक मनी और नकली नोटों के कारोबार को रोकने का करगर उपाय बताया। लोगों ने नोटबंदी के दौरान हुई समस्याओं का जिक्र किया। लोगों ने कहा नोटबंदी का फैसला जरूरी था, लेकिन सरकार अगर बैंकों पर नजर रखती तो देश के हाथ बड़ी रकम मिल सकती थी। कार्यक्रम के माध्यम से मलेनियल्स स्पीक जेनरल इलेक्शन 2019 के 18 से 38 साल वोटर्स के नब्ज को खोजकर लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव के बड़े मुद्दों पर युवाओं की राय ली गई।
रीयल स्टेट कारोबार पर असर
नोटबंदी से रीयल स्टेट कारोबार के प्रभाव पर युवाओं का कहा कि हा नोटबंदी के बाद रियल स्टेट कारोबार बहुत मंद हो गया था, लेकिन कारोबार फिर से खड़ा हो रहा है। जिससे एक बार फिर से लाखों की संख्या में मजदूरों को काम मिल रहा है। सरकार ने हर दिन चार हजार रुपये की चेंज की व्यवस्था की जो सराहनीय कदम रहा है। युवाओं ने माना कि नोटबंदी से पूर्व सरकार को देश में पैसा ज्यादा दिख रहा था, जिसपर कंट्रोल करने के लिए और देश में रहने वाले प्रति व्यक्ति की आय और पैसे को कानून की नजर में लाने के प्रयास के चलते नोटबंदी की गई थी। लोगों ने माना कि नोटबंदी के बाद रियल स्टेट कारोबारी जो बिना हिसाब के ही पैसा बिल्डिंगों में लगाकर ग्राहकों से दोगुना दाम वसूलते थे उसपर रोक लगी है।
चुनाव में रहेगा बड़ा मुद्दा
नोटबंदी और कालाधन लाने के साथ ही प्रति खाते में 15-15 लाख रुपये देने की योजना पर युवाओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार को लोगों से वादा नहीं करना चाहिये था। उन्होंने कहा कि देश की जनता भी जानती है कि जब काला धन आएगा तब ही सरकार लोगों को पैसा देगी। लेकिन सरकार द्वारा देश के लोगों को 15 लाख रुपये देने, विदेशों में जमा काला धन देश में वापस लाने में सरकार को सराहनीय सफलता नहीं मिली है। मिलेनियर्स ने कहा कि लोकसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा रहेगा कि नोटबंदी और कालाधन वापसी में सरकार को आंशिक सफलता मिली है।
चर्चा के दौरान मिलेनियल्स ने कहा कि नोटबंदी के चलते प्रदेश में नक्सली गतिविधियों में काफी कमी आई है। पैसा नहीं होने के चलते नक्सलवादी संगठन कमजोर होते जा रहे है। इससे पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को सफलता मिल रही है। सरकार ने भी सरेंडर नीति के तहत नक्सली लोगों को सुधरने का मौका दिया जा रहा है। पुराने नोट के बंद होने से दूसरे देश के माध्यम से छप कर आने वाली करेंसी पर भी रोक लगी है। नोटबंदी के दौरान भी सरकार के पास इस बात के आंकड़े नहीं थे कि नक्सलियों को कितनी फंडिंग होती है। जिससे बड़ा सुधार देखने को मिल रहा है। प्रदेश में हजारों की संख्या में लोगों ने आतंक का रास्ता छोड़ दिया ।
काम आये जनधन खाते
नोटबंदी के पहले सरकार ने एक स्कीम निकालकर में बिना बैंक खाते के जी रहे लोगों के एक-एक बैंक खाते खोले गये। इन खातों का मकसद सरकार को देश के सभी लोगों को सामान अवसर देकर सरकारी योजना से जोड़ना था। नोटबंदी के दौरान इन खातों की मदद से लोगों ने पैसे चेंज करने का काम किया। नोटबंदी से सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना रही है किसी भी व्यवस्था को स्थापित करने में दिक्कत होना स्वाभाविक है। इस बात को लेागों को समझना चाहिये