jamshedpur news 2024 : चांडिल में दिशोम बहा कमेटी का सामूहिक बाहा महोत्सव 11 को
जमशेदपुर (ब्यूरो): चांडिल गोलचक्कर स्थित झारखंड दिशोम बाहा सरहुल कमेटी की ओर से चांडिल गोलचक्कर जाहेरथान में दिशोम बाहा महोत्सव मनाया जाएगा। इसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है। तय कार्यक्रम के अनुसार 11 अप्रैल को सुबह 9 बजे बोंगा बुरू यानी पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद 11 बजे पुजारी द्वारा बाहा हाटिंग यानी फूल वितरण किया जाएगा। दोपहर एक बजे से बोंगा सोड़े हाटिंग यानी प्रसाद वितरण होगा। बाहा महोत्सव के दौरान दोपहर दो बजे से बाहा नृत्य का अयोजन होगा। यह जानकारी सुदामा हेंब्रम ने दी।होगा सरहुल नृत्य
आदिवासी समन्वय समिति चांडिल अनुमंडल की ओर से 11 अप्रैल को खुदियाडीह में सरहुल महोत्सव मनाया जाएगा। सरहुल महोत्सव के दौरान 12 अप्रैल को सरहुल सेंदरा यात्रा निकाली जाएगी। आदिवासी समन्वय समिति के अध्यक्ष प्रकाश मार्डी ने बताया कि सरहुल महोत्सव के आयोजन की तैयारी अंतिम चरण में है। उन्होंने बताया कि सरहुल महोत्सव के दौरान आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में संथाल समाज के अलावा मुंडा, पहाडिय़ा व उरांव समाज के सरहुल नृत्य का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि महोत्सव के दूसरे दिन 12 अप्रैल को सरहुल सेंदरा यात्रा निकाली जाएगी।निकलेगी सरहुल संदेश यात्रा
यात्रा के दौरान सरहुल का संदेश जन-जन तक पहुंचाने का काम किया जाएगा। संदेश यात्रा खुदियाडीह फुटबॉल मैदान से शुरू होकर चौका मोड़, मुखिया होटल होते हुए चांडिल गोलचक्कर तक पहुंचेगी। गोलचक्कर में वीर शहीद सिदो-कान्हू की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद चांडिल बाजार होते हुए स्टेशन चौक और स्टेशन चौक से वापस चांडिल चौक बाजार, डैम रोड, गांगुडीह होते हुए दिशोम जाहेरगढ़ पहुंचकर यात्रा समाप्त होगी।8 अप्रैल को निकलेगी सरहुल यात्राआदिवासियों के प्रकृति का पर्व सरहुल को लेकर 8 अप्रैल को कोका कमार करमाली सेवा समिति की ओर से बारीडीह चौक से सरहुल यात्रा का आयोजन किया जाएगा। इसे लेकर बारीडीह चौक में प्रेस वार्ता आयोजित की गई। समिति की ओर से जानकारी दी गई की 8 अप्रैल को शाम 4 बजे चौक से गाजे बाजे के साथ यात्रा निकलेगी, जिसमें आदिवासी समाज के सभी समुदाय के महिला पुरुष एवं बच्चे शामिल होंगे। यही यात्रा एग्रिको चौक में जाकर सीतारामडेरा से निकलने वाले शोभायात्रा में सम्मिलित हो जाएगी। यह यात्रा जमशेदपुर के विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। समिति ने आदिवासी समाज से ज्यादा ज्यादा संख्या में इस प्रकृति के पर्व सरहुल की यात्रा में शामिल होने का आह्वान किया।