जनजागरण का माध्यम बने साहित्य : कालिया
जमशेदपुर (ब्यूरो) : इंटरनेशनल ई-मैगजीन 'गृहस्वामिनी और वल्र्ड राइट्स फोरम के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव पर लगातार 75 दिनों तक देश के 75 महानायकों को 75 साहित्यकारों द्वारा साहित्यिक श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का नाम 'भारत के महानायक : गाथावाली स्वतंत्रता से समुन्नति की Ó था। इसके ऑनलाइन समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया, विशिष्ट अतिथि कर्नाटक सरकार की पूर्व मुख्य सचिव नीरजा राजकुमार और सेवानिवृत्त आईएएस डॉ अमिता प्रसाद ने अपने अनुभव साझा किए। इस श्रृंखला में गृहस्वामिनी द्वारा देश के निर्माता और महानायकों को स्मरण एवं नमन किया गया। यह कार्यक्रम जून से अगस्त माह तक लगातार 75 दिन रात आठ बजे 'गृहस्वामिनीÓ के फेसबुक पटल पर आयोजित हुआ।जनजागरण का बनाएं माध्यम
ममता कालिया ने कहा कि साहित्य को जनजागरण का माध्यम बनाना चाहिए और युवा एवं साहित्यकार अपने भाव, बोली से समाज के आंतरिक टूट-फूट की मरम्मत का कार्य कर सकते हैं। समाज के विकास के लिए जितनी अधिक पत्र पत्रिकाएं होंगी, समाचार पत्र होंगे जन जागरण में उतनी ही अधिक सहायता होगी। नीरजा राजकुमार ने गुलाम भारत के कुर्सीनशीन सर्टिफिकेट से लेकर वर्तमान भारत की विभिन्न उपलब्धियों का जिक्र किया। अमिता प्रसाद ने कहा कि नई पीढ़ी को किसी से डर नहीं है, वह मंगल ग्रह तक पहुंचने की क्षमता रखती है। कार्यक्रम का संचालन तृप्ति मिश्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन उपरोक्त संस्था की संस्थापक अर्पणा संत सिंह ने किया। कार्यक्रम में भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, कतर, यूएई आदि देशों के 85 से भी अधिक साहित्यकार शामिल हुए।