JAMSHEDPUR: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शनिवार को बड़ा निर्णय लिया गया। अब यहां हर शनिवार को लेप्रोस्कोपी सर्जरी की जाएगी। इसे सफल बनाने को लेकर एमजीएम अधीक्षक डॉ। संजय कुमार, उपाधीक्षक डॉ। नकुल प्रसाद चौधरी व सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ। दिवाकर हांसदा ने एक प्लान तैयार किया है। यह प्लानिंग स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के लिए एक तोहफा जैसा भी है। क्योंकि आज के ही दिन वह स्वास्थ्य मंत्री का प्रभार ग्रहण किया था और एमजीएम को सुधारने का भरोसा दिया है। उनके प्रभार ग्रहण करने का आज एक माह पूरा हो रहा है। बीते एक माह में एमजीएम अस्पताल में अबतक पांच टीमें अस्पताल का निरीक्षण कर चुकी हैं। वह हर बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार कर मंत्री को सौंपेगी।

इधर, शनिवार को एमजीएम में लेप्रोस्कोपी सर्जरी की शुरुआत कर दी गई। कपाली निवासी (13) समसानाज को एपेंडिक्स था। वह बीते दो साल से दर्द से परेशान थी। आयुर्वेदिक इलाज करायी पर उससे राहत नहीं मिली। इसके बाद वह निजी अस्पताल गई तो वहां सर्जरी के लिए 40 हजार रुपये जमा करने को कहा गया। समसानाज के परिजन के पास उतना पैसा नहीं था, जिससे कारण वह ऑपरेशन नहीं करा सकीं। इसके बाद वह बीते बुधवार को एमजीएम आई। यहां पर डॉ। योगेश की यूनिट में उसे भर्ती किया गया और शनिवार को डॉ। सरवर आलम, डॉ। बाबुमनी बास्के व डॉ। निहारिका ने मिलकर उसकी लेप्रोस्कोपी सर्जरी की। किशोरी को सर्जरी आईसीयू में रखा गया है। उसकी स्थिति पहले से बेहतर बताई जा रही है।

ओपीडी में तीन दिन बैठेंगे लेप्रोस्कोपी सर्जन

एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ। नकुल प्रसाद चौधरी ने बताया कि नए प्लान के तहत ओपीडी में तीन दिन लेप्रोस्कोपी सर्जन बैठेंगे। सोमवार को डॉ। बाबुमनी बास्के व डॉ। शंभू प्रसाद, बुधवार को डॉ। सरवर आलम व गुरुवार को डॉ। एचआर खान की ओपीडी है। यह सारे डॉक्टरों मरीजों की चयन कर शनिवार को लेप्रोस्कोपी सर्जरी करेंगे, जो अबतक नहीं होता था। इससे गरीबों को बड़ा फायदा होगा।

किडनी से लेकर पथरी तक की होगी सर्जरी

एडवांस लेप्रोस्कोपी मशीन से किडनी, पथरी, एपेंडिक्स, हार्निया, गोल ब्लडर, पित्त की थैली में पत्थर, किडनी में पत्थर, पेशाब रास्ता में पत्थर, बच्चेदानी में बढ़े हुए मांस सहित अन्य रोगों का सफल ऑपरेशन किया गया।

बिना चीर-फाड़ के होगी सर्जरी

लेप्रोस्कोपी मशीन की मदद से डॉक्टर मरीज के शरीर में बिना कोई बड़ा चीरा दिए अंदरुनी पेट या पेल्विस के अंदर तक सर्जरी करने में सक्षम हो पाते हैं। इस सर्जरी में बड़े चीरा लगाने से जरूर नहीं पड़ती। इससे न तो अत्याधिक खून निकलता है तो न ही दवा खाने पड़ते है। वहीं अस्पताल से छुट्टी भी जल्द ही मिल जाता है।

जरूरतमंदों से अपील है कि वह एमजीएम अस्पताल आएं और इसका लाभ उठाए। यहां पर यह सर्जरी मुफ्त में होती है। यदि मरीजों को किसी तरह की परेशानी हो तो वह सीधे मुझसे आकर मिल सकता है।

- डॉ। नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम।

Posted By: Inextlive