70 की उम्र में मुफ्त दे रहे हैैं कराटे की ट्रेनिंग
जमशेदपुर (ब्यूरो): घाटशिला अनुमंडल स्थित ताम्र नगरी मऊभंडार में 70 वर्षीय गोपाल कृष्ण बनर्जी का जज्बा ढलती उम्र में भी बुलंद है। ताम्र कर्मी रहे श्री बनर्जी इस उम्र में भी बच्चों को आत्मरक्षा के गुर सीखा रहे हैं, यानी उनके द्वारा दिया जाने वाला कराटे का प्रशिक्षण अब भी जारी है। महिलाओं को आत्मरक्षा के ले जागरूक और मजबूत करने के लिए वे उन्हें निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। वर्ष 1978 से
बता दें कि श्री बनर्जी वर्ष 1978 से बच्चों को कराटे का प्रशिक्षण दे रहे हैं। 70 वर्ष के हो चुके श्री बनर्जी अब 5 डॉन ब्लैक बेल्ट शिहान गोपाल कृष्ण बनर्जी के नाम से जाने जाते हैं। इन्होंने अपनी निस्वार्थ सेवा से अब तक ताम्र नगरी को देश-विदेश में कराटे में कई पदक तो दिलवाया ही है, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में इनके द्वारा प्रशिक्षित छात्रों ने भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। वर्तमान में एचसीएल मैदान में हर रविवार की सुबह 7 बजे से 10 बजे तक बनर्जी सर की क्लास लगती है और बच्चे यहां आत्मरक्षा के गुर सीखने आते हैं।तो बढ़ा रुझान
इसके अलावा दो स्कूलों में भी इनकी नियमित कक्षा चलती है। शिहान गोपाल कृष्ण बताते हैं कि जब उन्होंने कराटे का प्रशिक्षण देना शुरू किया था, तो मात्र कुछ ही बच्चे यहां आते थे। इसके बाद यहां से सीखे हुए बच्चों का रा'य स्तरीय फिर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में चयन होने लगा और वहां से लगातार मेडल भी आने शुरू हुए तो लोगों का रुझान बढ़ा। इसके बाद लोगों ने अपने ब'चों को इनके पास सीखने के लिए भेजना शुरू किया। तब से ये सफर अनवरत जारी है।आत्मविश्वास बढ़ता है
इस कला की सबसे खास बात ये है कि इससे जहां ब'चों में अपनी सुरक्षा को लेकर आत्मविश्वास बढ़ता है वहीं उनका शारीरिक और मानसिक विकास भी होता है। उन्होंने बताया कि आज के समय में लड़कियों के लिए आत्मरक्षा के तरीके सीखना बहुत जरूरी है। इसे ध्यान में रखकर लड़कियों के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया जाता है, जिसमें उन्हें विशेष तरह से प्रशिक्षित किया जाता है। सबसे खास बात ये है की लड़कियों से इस प्रशिक्षण के बदले किसी भी तरह की कोई फीस नहीं ली जाती है। इनके लिए पूरा प्रशिक्षण नि:शुल्क है। इस कला के माध्यम से नारी सशक्तिकरण की दिशा में काम करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि अब श्री बनर्जी की उम्र हो चुकी है, मगर इस कला के प्रति उनके समर्पण ने उम्र को उनपर हावी नहीं होने दिया है।