बंद से जमशेदपुर में दो सौ करोड़ का नुकसान
JAMSHEDPUR: कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के भारत व्यापार बंद के आह्वान पर शुक्रवार को देश भर में 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठनों के 8 करोड़ से अधिक व्यापारी अपना कारोबार बंद रख भारत व्यापार बंद में शामिल हुए। भारत व्यापार बंद का आह्वान कैट ने गत 22 दिसंबर को और उसके बाद जीएसटी के नियमों में किए गए कुछ मनमाने और गैरकानूनी संशोधनों के खिलाफ व्यापारियों की आवाज बुलंद करने के लिया किया था। इसके साथ ही दूसरी ओर बड़ी विदेशी ई कॉमर्स कम्पनियों द्वारा लगातार सरकार के कानून और नीतियों के उल्लंघन पर लगाम कसने के लिए एफडीआई पालिसी के तहत प्रेस नोट 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट जारी करने की मांग भी की।
चैंबर भी हुआ शामिलकैट के भारत व्यापार बंद के आह्वान पर सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने भी भारत व्यापार बंद में हिस्सा लिया। इस दौरान चैम्बर ने व्यापारियों से बंदी को सपोर्ट करने की अपील की थी। हालांकि आज शहर के विभिन्न क्षेत्रों में कई दुकानें खुली भी रहीं। वैसे इस एक दिन की बंदी जमशेदपुर में करीब 200 करोड़ रुपए के व्यापार प्रभावित होने की बात कही जा रही है। अगर पूरे देश की कहें तो भारत व्यापार बंद से देश में 1 लाख करोड़ रुपए के व्यापार का नुकसान हुआ है।
जमशेदपुर के बाजार रहे वीरान कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा कि देश भर के बाजारों के साथ ही पूरे झारखंड और जमशेदपुर में भी आज वीरानी छाई रही। उन्होंने कहा कि पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक सभी राज्यों के व्यापारियों ने अपना व्यापार बंद रखा और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और जीएसटी कॉउंसिल को मजबूत संदेश दिया की जीएसटी कर का उपनिवेशीकरण करने से व्यापार और अर्थव्यवस्था में व्यवधान पैदा होगा। देश भर में व्यापारी से व्यापारी (बी टू बी) और व्यापारी से उपभोक्ता (बी 2 सी) का व्यापार पूरी तरह से बंद रहा। हालांकि कैट ने बंद में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, केमिस्ट शॉप, दूध और डेयरी उत्पादों की आपूर्ति करने वाले जनरल स्टोर को व्यापार बंद के दायरे से बाहर रखा था। इन संगठनों ने दिया समर्थनबड़ी संख्या में राष्ट्रीय और झारखण्ड राज्य के संगठन सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, जमशेदपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स, जमशेदपुर च्वेलर्स सोसिएशन, जमशेदपुर डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन, थोक वस्त्र विक्त्रेता संघ, झारखंड मोबाइल डीलर एसोसिएशन जमशेदपुर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन, व्यापार मंडल, जमशेदपुर रेस्टोरेंट एसोसिएशन, जमशेदपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया, जमशेदपुर चैप्टर, जमशेदपुर एडवरटाइजर्स एसोसिएशन, जमशेदपुर टाटा डीलर वेलफेयर एसोसिएशन, झारखंड सैलून एसोसिएशन, रिटेल मचर्ेंट एसोसिएशन, मांगो व्यापारी संघ, गोलमुरी व्यापारी संघ, आदित्यपुर ट्रेडर्स एसोसिएशन, बिष्टुपुर ट्रेडर्स एसोसिएशन, व्यवसायी एकता मंच, जमशेदपुर कमर्शियल टैक्स बार एसोसिएशन और जमशेदपुर सीए सोसाइटी सहित राष्ट्रीय और राज्य स्तर के संगठनों ने व्यापर बंद में भाग लिया। पूरे भारत में लगभग 8 करोड़ व्यापारियों, 1 करोड़ ट्रांसपोर्टरों, 3 करोड़ हॉकर्स और लगभग 75 लाख छोटे उद्योगों ने अपना कारोबार बंद रखा।
कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथलिया ने भारत व्यापार बंद को सफल बताते हुए कहा कि कर अधिकारियों को दी गई मनमानी और अनैतिक शक्तियां एक बार फिर से देश में इंस्पेक्टर राज लाएगी और इसका उपयोग अपराधियों पर करने की बजाय ईमानदार और कर पालन करने वाले व्यापारियों के उत्पीड़न के लिया किया जाएगा। उन्होंने कहा कि व्यापारियों का पूर्व का अनुभव भी यही है। कैट ने कानून या नियमों में कोई संशोधन लाने से पहले जीएसटी नियमों के विवादास्पद प्रावधानों को स्थगित करने और व्यापारियों को विश्वास में लेकर ही नियमों एवं कानून में बदलाव करने की मांग की है। नियम परेशान करने के लिएश्री सोंथलिया ने कहा कि कानून और नियम समावेशी होने चाहिए और स्वैच्छिक पालन के लिए एक प्रेरणा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून और नियम 5 प्रतिशत लोगों के लिए बने हैं जो किसी भी व्यवस्था में आदतन अपराधी हैं लेकिन कानून या नियमों का उपयोग 95 प्रतिशत अन्य लोगों के खिलाफ किया जाता है जो कानून का पालन कर रहे हैं। यह मानसिकता अच्छी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर इन संशोधनों को लागू किया जाता है तो व्यापार से प्राप्त राजस्व में कमी होगी क्योंकि अनजानी त्रुटि को ठीक करने का कोई प्रावधान नहीं है और विभाग को अधिकार है की वो जीएसटी पंजीकरण नंबर को निलंबित कर सकते हैं।
कैट की ये हैं मांग - विवादास्पद संशोधनों को स्थगित रखा जाए और किसी भी संशोधन को लाने से पहले व्यापारी संगठनों को विश्वास में लिया जाए। - जीएसटी के प्रभावी कार्यान्वयन और एक अनुकूल व्यापार का वातावरण प्रदान करने के लिए सरकार को एक जीएसटी समिति का गठन करना चाहिए। - जिसमें केंद्रीय स्तर और राज्य स्तर पर अधिकारी और व्यापार प्रतिनिधि शामिल हों और देश में प्रत्येक जिले में एक जीएसटी समिति हो।