कोचिंग संस्थानों, स्कूलों में फायर सेफ्टी की जांच की मांग
जमशेदपुर (ब्यूरो): जमशेदपुर अभिभावक संघ ने कोचिंग संस्थानों, स्कूलों (सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों) और सभी तरह के स्कूली वाहनों में फायर सेफ्टी के मापदंडों की जांच करने व उसे फायर सेफ्टी के मापदंडों के दायरे में लाने की जरूरत बताई है। इस संबंध में उन्होंने एनएसीपीसीआर के अध्यक्ष, राज्य के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और जिले की उपायुक्त को पत्र लिखकर इस दिशा में पहल करने की मांग की है। कोचिंग सेंटर्स की सही जानकारी नहीं
पत्र में अभिभावक संघ के अध्यक्ष डॉ उमेश कुमार ने कहा है कि सूरत कोचिंग सेंटर में वर्ष 2019 में लगी भीषण आग की चपेट में आने से सेंटर के टीचर समेत कई बच्चों की जान गई थी। इस र्ददनाक हादसे के बाद कोचिंग संस्थानों में अग्निशमन के उपकरणों की जांच पड़ताल के संबंध में हलचल तो हुई थी पर समय गुजरने के साथ ही मामला फिर शांत हो गया। उन्होंने कहा कि जमशेदपुर शहर को झारखंड में शैक्षिक केन्द्रों में से सबसे महत्वपूर्ण केन्द्रों में से एक माना जाता है। इस शहर में अभी कितने कोचिंग सेंटर चलाए जा रहे हैं, इसकी सही जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। यही हाल स्कूलों के संबंध में भी है। डॉ। उमेश ने कहा कि संचालक को जहां जगह मिल जाती है, चाहे भाड़े पर या फिर निजी रूप में वही कोचिंग सेंटर या स्कूल शुरू कर देते हैं, जबकि कोचिंग संस्थानों व स्कूल पर भवन विनियमों में संस्थानिक मापदंड लागू होते हैं। इसके अनुसार जहां भी कोचिंग सेंटर वह स्कूल संचालित हो रहा है वहां की सडक़ की चौड़ाई 40 फीट होनी चाहिए साथ ही वहां दुपहिया और कार पार्किंग भी होनी चाहिए। अलग-अलग टॉयलेट जरूरी छात्र-छात्राओं के अनुपात में अलग-अलग शौचालय का होना आवश्यक है। यही हाल शहर में चलने वाले निजी स्कूली वाहनों का है, क्योंकि जमशेदपुर शहर में दो-चार स्कूलों को छोड़ किसी भी स्कूल के पास बच्चों को घर से स्कूल लाने ले जाने के लिए स्कूली वाहन (बस व वैन) की व्यवस्था नहीं है। जमशेदपुर अभिभावक संघ ने कोचिंग सेंटर, स्कूलों (सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों व प्ले स्कूल) और स्कूली वाहनों में उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए इनमें फायर सेफ्टी के साथ ही सुरक्षा के अन्य पहलुओं की जांच करने के साथ ही इनके संचालकों को फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने का आदेश देने की मांग की है।