शहर ने दिया महिलाओं को सम्मान
JAMSHEDPUR: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मन के मंजीरे कार्यक्रम का आयोजन डीबीएमएस कॉलेज एवं लेडिस सर्किल इंडिया (जमशेदपुर ग्रीन स्टील लेडिस सर्किल एरिया 123) एवं रोट्रेक्ट क्लब के संयुक्त तत्वाधान में डीबीएमएस महाविद्यालय के सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन अंजलि गणेशन ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर चेयरपर्सन बी.चंद्रशेखर, ज्वाइंट चेयरपर्सन ललिता चंद्रशेखर, सतीश सिंह , सचिव श्रीप्रीया धर्मराजन, गीता नटराजन, कॉलेज की ¨प्रसिपल डा। जूही समर्पिता, मुख्य अतिथि आइएएस सुचित्रा सिन्हा एवं अतिथि वक्ता डा.मंजू सिंह के द्वारा किया गया। महिला दिवस पर मुख्य वक्ता इनरव्हील की पूर्व अध्यक्षा डा.मंजू सिंह थी। उन्होंने अपनी उपलब्धियों को किन कठिनाइयों को पार कर प्राप्त किया, सबसे साझा किया। मुख्य अतिथि आइएसएस सुचित्रा सिन्हा ने अपने वक्तव्य में कहा कि उत्सव के रूप में महिला दिवस को नहीं बल्कि आंदोलन के रूप में मनाना है और कुछ करके दिखाना है। उन्होंने महिलाओं से संबंधित कानूनों के बारे में बताया। अंबालिका एनजीओ के द्वारा सबर जनजाति के उत्थान के लिए हो रहे काम की जानकारी भी सुचित्रा सिन्हा ने दी। विभिन्न संगठनों के सदस्य समारोह में शामिल हुए। लेडिस सर्किल इंडिया की चेयरपर्सन रितिका अगरवाल,अबीरा की संस्थापिका स्वेता सिंह, जीविका की संस्थापिका सुखदीप कौर, एरा से अमृता, ला ग्राविटी से अर्चना डुग्गर आदि ने पीपीटी द्वारा अपने संगठनो का परिचय दिया।
राष्ट्रीय मुक्केबाज तरुणा ने महिला सशक्तिकरण पर दिया बलकरीम सिटी कॉलेज के महिला सेल ने कॉलेज के सभागार में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। स्वागत भाषण प्राचार्य डा। मो। रेयाज ने दिया। इस आयोजन के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय मुक्केबाज तरुणा मिश्रा थी । उन्होंने महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। महिला प्रकोष्ठ की समन्वयक ने महिलाओं को निभाने वाली रूढि़वादी भूमिकाओं के बारे में ²ष्टिकोण बदलने की आवश्यकता के बारे में बात की। इस अवसर पर एक छोटा सा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। इसमें सभी विद्यार्थियों ने अपना एक विशेष प्रदर्शन दिया और हमारे समाज में नारी सशक्त के विचार को बढ़ावा दिया। इस कार्यक्रम में उठी हर एक शब्द ने महिला के वर्तमान के परिस्थिति एवं उनमें सुधार का विश्लेषण किया। पहले से कॉलेज में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को ले स्वरचित कविता, निबंध लेखन, कॉमिक स्क्रि¨प्टग और कु¨कग विदाउट जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। सभी के विजेताओं को सोमवार को सम्मानित किया गया। महिला सेल के बीते सफर का प्रदर्शन किया गया। साथ ही कुछ सफल महिलाओं का परिचय भी दिया गया, जिन्होंने अपने-अपने स्तर पर सफलता का परचम लहराया और मिसाल कायम किया। इसी कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि के शब्दों द्वारा महिलाओं के प्रोत्साहन को बढ़ाया। प्राचार्य मो। रेयाज ने देश के विकास के लिए महिला एवं पुरुष दोनों के समान योगदान को अनिवार्य बताया। मौके पर डा। कौसर तसनीम, प्रो साकेत कुमार, डा। अनवर आलम, डा। इंद्रसेन सिंह, डा। अनवर साहब, डा। सुभाष गुप्ता, डा। फकरुद्दीन, डा। सफीउल्लाह अंसारी, डा। नेहा तिवारी, डा। एमएस याहिया इब्राहिम, डा। वसुंधरा रॉय उपस्थित थे।
¨लगभेद के समाधान की शुरूआत हमें अपने घर से करनी होगी : डा। पूर्णिमाराजनीति विज्ञान एवं इंग्लिश विभाग के संयुक्त तत्वाधान में महिला सशक्तिकरण : समस्या और समाधान विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया.सेमिनार के अध्यक्ष एवं प्राचार्य डा। अमर सिंह, मुख्य वक्ता एवं अतिथि कोल्हान विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व एचओडी डा। पूर्णिमा कुमार, कोल्हान विश्वविद्यालय मैथिली विभाग के अध्यक्ष सह साहित्य अकादमी नई दिल्ली के सदस्य डा। अशोक कुमार झा, स्मिता नगेशिया ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कॉलेज के प्रो। विनय कुमार गुप्ता ने सभी अतिथियों एवं विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए सेमिनार एवं कार्यक्रम की रूप रेखा प्रस्तुत करते हुए सेमिनार के उदेश्यों को बताया। डा। अशोक कुमार झा ने कहा कि अतीत को सही रुप से जाने बिना भविष्य की योजना नहीं बनाया जा सकता इसलिए संयुक्त राष्ट संघ ने 1996 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का थीम अतीत का जश्न मनाओ और भविष्य की योजना बनाओ दिया था। भारत में परंपरा, सामाजिक मनोविज्ञान और व्यवहारिक परिस्थितियों के आधार पर ही नारी सशक्तिकरण की योजनाएं सफल हो सकती है। डा। पूर्णिमा कुमार ने कहा कि ¨लगभेद के समाधान के लिए शुरुआत घर से करनी होगी। अगर एक रोटी घर पर है तो आधी रोटी बेटा को और आधी रोटी बेटी को बांटकर देने की जरुरत है। शिक्षा,स्वास्थ्य सभी में बचपन से समान ²ष्टि से देखने की जरुरत है। अध्यक्षीय भाषण देते हुए डा। अमर सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण तभी संभव हो पाएगा जब व्यवहारिक रूप से लड़का और लड़की में समानता को लाया जाएगा। उन्होंने इसी प्रकार के और सेमिनार करते हुए जागरूकता लाने के लिए शिक्षकों को प्रेरित किया। सेमिनार के बाद एनएसएस द्वारा नारी नहीं बेचारी और दहे•ा उत्पीड़न पर नाटकों का प्रदर्शन किया गया। तत्पश्चात हैपकीड़ो के प्रशिक्षित छात्रों को सर्टिफिकेट दिया गया तथा साइंस के छात्रों द्वारा प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में तान्या, कापरा, सलगे आदि छात्राओं ने भी अपना पेपर प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम का संचालन डा। मौसुमी पाल एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ संचिता भुई सेन ने किया।