जमशेदपुर: हो भाषा आंदोलनकारियों ने जगह-जगह रोकीं ट्रेने
JAMSHEDPUR: हो भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर बुधवार को जगह-जगह ट्रेनें रोकी गई। इस वजह से यात्री हलकान रहे। इस दौरान 350 आंदोलनकारी हिरासत में लिए गए जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। आदिवासी हो समाज युवा महासभा और मानकी मुंडा संघ के बैनर तले टाटानगर स्टेशन से सटे सालगाझुड़ी फाटक के पास सुबह ट्रेनें रोकी गई। आंदोलन का नेतृत्व ऑल इंडिया हो लैंग्वेज एक्शन कमेटी के प्रदेश सचिव सुरा बिरुली ने किया। स्टील एक्सप्रेस को सुबह 6.25 से लेकर 7.40 तक जबकि नई दिल्ली-पुरी पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को सुबह 5.30 बजे से लेकर सुबह 8.20 बजे तक सालगाझुड़ी स्टेशन में रोके रखा गया। आंदोलन की सूचना मिलने पर टाटानगर स्टेशन में ही रेल अधिकारियों ने संपर्क क्रांति को सुबह 6.25 से करीब आठ बजे तक रोके रखा। सालगाझुड़ी में ट्रैक पर दो सौ से ज्यादा आंदोलनकारी ढोल- नगाड़ा बजा कर पारंपरिक नृत्य भी कर रहे थे। सूचना मिलने पर रेल एसपी व आरपीएफ थाना प्रभारी सहित मौके पर पहुंचे और आंदोलनकारियों को ट्रैक से हटाने का प्रयास किया। जिसके बाद आंदोलनकारी ट्रैक से हटे और करीब 8.30 बजे ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ।
ट्रेन सेवा प्रभावित
सालगाझुड़ी, घाटशिला, बड़ाबॉम्बो, चक्रधरपुर, चाईबासा, हाट गम्हरिया में ट्रेन सेवा प्रभावित रही। सालगाझुड़ी से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई लेकिन अन्य क्षेत्रों से 350 आंदोलकारियों को रेलवे ट्रैक से गिरफ्तार किया गया। सालगाझुड़ी फाटक के समीप रेल चक्का जाम करने वाले सुरा बिरुली व अन्य पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर आरोपियों पर अगली कार्रवाई करेगी। रेल रोको आंदोलन में प्रदेश सचिव सुरा बिरुली, मोसो सोय, कन्हाई हेम्ब्रम, दुगाई कुंकल,सुषमा बिरुबा, लाडू देवगम, चैतन्य पुरती, शांति सिदु, बासमती हांसदा, वीर सिंह बानरा, आर रवि सावैया, दुर्गा चरण बारी, राय सिंह बिरुवा,सीता हेम्ब्रम,उपेंद्र बानरा, निकिता हो, जमुना बोदरा, सुकुरमुनी बिरुली,सुनीता मेलगंडी,सबरीना हेम्ब्रम आदि शामिल थे।
स्टील एक्सप्रेस व पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को सालगाझुड़ी फाटक के समीप आंदोलनकारियों ने रोक लिया तो यात्री परेशान होने लगे। यात्रियों ने हिम्मत जुटा कर आंदोलनकारियों को ट्रैक से हटने का आग्रह किया और कहा कि ट्रेन में ऐसे कई यात्री सफर कर रहे हैं जिन्हें या तो परीक्षा देने जाना है या फिर इलाज के लिए जाना है। उनके आंदोलन के कारण कई छात्र परीक्षा केंद्र तक नहीं पहुंच पाएंगे। लेकिन आंदोलनकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी और कहा कि जब ट्रेन देर से पहुंचती है तो वे लोग क्यों नहीं आवाज उठाते।
रायरंगपुर में परिचालन प्रभावित
रेल रोको अभियान के दौरान रायरंगपुर में टाटा-बादामपहाड़ पैसेंजर ट्रेन को सुबह 6.20 से करीब सात बजे तक आंदोलनकारियों ने रोके रखा। आंदोलनकारी ट्रेन के इंजन के पास पारंपरिक नृत्य ढोल नगाड़ा बजा कर कर रहे थे। आरपीएफ की पहल के बाद इन आंदोलनकारियों को ट्रैक से हटाया गया। जब तक सरकार मांगे पूरी नहीं करेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा,चाहे सरकार मुकदमा दर्ज करें या उन्हें जेल भेजे। वे डरने वाले नहीं हैं। आने वाले चुनाव में हो समाज सत्तादारी पार्टियों को सबक सिखाएगी।