वैट चालान कटाते ही पकड़ा गया जीएसटी का जालसाल
छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र/ ष्ट॥न्ढ्ढक्चन्स्न्: अपने बैंक खाते से 100 रुपये का वैट चालान कटाकर जीएसटी विभाग से धोखाधड़ी करने वाला आरोपित कमल राय फंस गया। इसी गलती ने पुलिस को उसके पास तक पहुंचने का सूत्र दे दिया। दो वर्ष से चाईबासा पुलिस की टीम फर्जी फर्म का पता लगाने और उनके मालिक तक पहुंचने की कोशिश में लगी थी, लेकिन आरोपित हाथ नहीं आ रहे थे। सदर थाना में 16 फरवरी 2019 को चाईबासा सर्किल के कर-उपायुक्त, राज्य जीएसटी विभाग द्वारा फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर जालसाजी व धोखाधड़ी के माध्यम से टैक्स की चोरी का मामला दर्ज कराया गया था। इसमें प्राथमिक अभियुक्त कास्ट एकाउंटेंट कमल राय, मेसर्स तिरुपति इंटप्राइजेज के प्रोपराइटर राकेश कुमार गर्ग व मेसर्स बालाजी इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर ब्रजेश कुमार तिवारी को आरोपी बनाया गया था।
पुलिस कर रही थी जांचपुलिस जांच में जुटी गई, लेकिन एफएस टावर चाईबासा में दोनों कंपनी का कोई कार्यालय मौजूद नहीं था, जिससे दोनों फर्जी फर्म का पता नहीं चल पा रहा था। पुलिस पदाधिकारी लगातार जांच में जुटे रहे, लेकिन कोई सूत्र नहीं मिल रहा था, जिससे आरोपित पकड़े जा सकें। दोनों फर्म का जीएसटी में इलेक्ट्रानिक्स सामान और पान मसाला के नाम पर निबंधन कराया गया था। इसी दौरान कास्ट एकाउंटेंट कमल राय ने 100 रुपये का वैट चालान अपने बैंक खाता से कटाया था, जबकि किसी भी फर्म का वैट चालान फर्म के बैंक खाता से कटाया जाता है। उसी बैंक खाता की पड़ताल करते हुए पुलिस ने पहले कमल राय का पता निकाला, उसके बाद फर्जी फर्म चलाने वाले छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिला निवासी राकेश कुमार गर्ग व ब्रजेश प्रसाद तिवारी का पता लगाया। कमल राय को जमशेदपुर के सोनारी आवास से मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि अन्य दोनों आरोपित अपने पते से गायब हैं। पुलिस दोनों की गिरफ्तारी के लिए लगातार झारखंड, बिहार व छत्तीसगढ़ में छापामारी कर रही है।
2016-17 से कर रहे थे टैक्स चोरीचाईबासा के एफएस टावर में फर्जी फार्म खोलकर कार्य करने वाले राकेश वर्ग, ब्रजेश तिवारी व कमल राय 2016-17 से ही कारोबार शुरू कर टैक्स की चोरी कर रहे थे। इस बीच जुलाई 2017 में केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू कर दिया। इसके बाद टिन नंबर के आधार पर फर्जी फर्म का भी जीएसटी नंबर बदल गया। इसके बाद वह फर्जी फर्म के नाम से बिहार और झारखंड में टैक्स की चोरी करने लगे। जीएसटी आने के बाद टैक्स को लेकर लगातार हो रहे बदलाव से अधिकारियों का ध्यान भी इस ओर नहीं गया। इसका लाभ उठाकर आरोपितों ने वैट व जीएसटी विभाग को लगभग 15 करोड़ का चूना लगाने की कोशिश की थी।