औद्योगिक क्षेत्र में नगर निगम और उद्यमियों के बीच ठनी

जमशेदपुर (ब्यूरो) । आदित्यपुर औद्योगिक इकाई के उद्यमी नगर निगम को होल्डिंग टैक्स देने से इंकार कर रहे हैं। उद्यमियों का कहना है कि वे नगर निगम के दायरे में नहीं आते हैं। इसलिए वे निगम को होल्ंिडग टैक्स का भुगतान नहीं करेंगे। वहीं नगर निगम का कहना है कि नगर निगम का कहना है कि औद्योगिक इकाइयां निगम क्षेत्र के दायरे में आती हैं। इधर, औद्योगिक इकाईयों का दायरा आदित्यपुर से गम्हरिया तक फैला हुआ है, लेकिन यहां कई मामलों में काफी पेंच है। इधर, उद्यमियों द्वारा होल्ंिडग टैक्स नहीं देने से हर साल निगम को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
जियाडा को कर रहे भुगतान
नगर निगम का कहना है कि सभी औद्योगिक इकाइयों को होल्डिंग टैक्स देना होगा, लेकिन उनके द्वारा निगम को होल्डिंग टैक्स का भुगतान नहीं किया जा रहा है। वहीं उद्यमियों का कहना है कि उनके द्वारा जियाडा को हर तरह के टैक्स और किराए का भुगतान हर माह किया जा रहा है तो वे नगर निगम को होल्डिंग टैक्स क्यों दें।
टैक्स के लिए जारी किया नोटिस
होल्ंिडग टैक्स के भुगतान को लेकर पूर्व में नगर निगम द्वारा कुछ औद्योगिक इकाइयों को नोटिस भी जारी किया गया था और सर्टिफिकेट केस करने की चेतावनी भी दी गई थी। इसके बावजूद औद्योगिक इकाईयों ने टैक्स नहीं दिया।
कोर्ट में है लंबित मामला
इस मामले को लेकर उद्यमी कोर्ट की शरण में गए, जहां कोर्ट ने नगर निगम के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद उद्यमियों ने कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जहां मामले की सुनवाई फिलहाल लंबित है।
रैयती जमीन पर कई कंपनियां
निगम के अनुसार कई कंपनियां रैयती जमीन पर भी बनी हैं। नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक ऐसी करीब 950 औद्योगिक इकाइयां हैं और उन पर आयडा का कोई दायित्व नहीं है। ऐसे में उन कंपनियों से होल्डिंग टैक्स देने को कहा जा रहा है, लेकिन ये सभी कंपनियां भी होल्ंिडग देने से इंकार कर रही हैं।
बिना होल्डिंग नहीं मिलेगा पानी
नगर निगम का कहना है जो कंपनियां होल्ंिडग टैक्स की अदायगी नहीं करेंगी उन्हें पानी का कनेक्शन नहीं दिया जाएगा।
वहीं इस मामले पर उद्यमियों का कहना है कि उन्हें निगम से पानी नहीं चाहिए। पानी के लिए उन्होंने अपने परिसर में बोरिंग करवा लिया है। उनका कहना है कि यदि उन्हें पानी का कनेक्शन लेना होगा तो वे इसके लिए निगम को भुगतान कर देंगे।

नगर निगम जबरदस्ती अधिकार बता रहा है। कंपनी इंडस्ट्रियल एरिया में आता है। हम लोग नगर निगम एरिया में नहीं हैं। बोलने के लिए सभी स्वतंत्र हैं। जहां तक पानी की बात है तो यह नगर निगम की बपौती नहीं, पानी पाईप नगर निगम का मालिकाना नहीं, सरकार बिछा रही है, सरकार हमें पानी देगी।

संतोष खेतान, अध्यक्ष, एसिया


कोर्ट से डिग्री हो गई थी, लेकिन फिर उद्यमी हाई कोर्ट चले गए। इसके बाद अभी मामला कोर्ट में है। वहां से निर्णय के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

बिनोद श्रीवास्तव, मेयर आदित्यपुर नगर निगम


नगर निगम अगर कह रहा है कि मेरे एरिया में है तो होगा। कुछ लोग टैक्स नहीं देना चाहते हैं, इसलिए नगर निगम को नहीं मानते है। अगर टैक्स नहीं देना है तो डी नोटिफाई करवा लें। नगर निगम में नहीं आएगा तो नगर निगम वहां सफाई आदि नहीं करेगी। रहेगा तो टैक्स तो वसूलेगा ही। इसी से उसके कर्मचारी का खर्च चलता है।

बशीर अहमद, अवर सचिव, नगर विकास एवं आवास विभाग


औद्योगिक क्षेत्र होल्डिंग टैक्स के दायरे में नहीं आता है। हम टैक्स आयडा को पे कर रहे हैं। टैक्स नगर निगम को लेना है तो वह जियाडा से ले।

संतोष सिंह, अध्यक्ष, सिया


नगर निगम ने कभी क्षेत्र में सफाई नहीं की। यह जियाडा के अंतर्गत आता है। ऐसे में नगर निगम को टैक्स वसूलने का कोई औचित्य नहीं है। हम एक जगह देंगे टैक्स। इसे लेकर निगम और जियाडा को आपस में तय करना चाहिए कि कौन शुल्क लेगा।

गंगा प्रसाद शर्मा, उद्यमी

Posted By: Inextlive