भगवान श्रीकृष्ण एवं मां रुक्मिणी विवाहोत्सव पर झूमे श्रद्धालु
जमशेदपुर (ब्यूरो): जुगसलाई स्थित श्री राजस्थान शिव मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन रविवार को महारास लीला, प्रभु का मथुरा गमन, उद्धव-गोपी संवाद एवं भगवान श्री कृष्ण मां रुक्मिणी मंगल विवाह उत्सव कथा प्रसंग को सुनकर श्रद्धालु आनंदित होते रहे। भगवान श्रीकृष्ण मां रुक्मिणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। कथा के दौरान रुक्मिणी विवाह के आयोजन और धार्मिक भजनों पर श्रद्धालुओं ने झूमते हुए नृत्य भी किया। भगवान श्रीकृष्ण मां रुक्मिणी के विवाह की झांकी के साथ वरमाला पर फूलों की बरसात हुई।
महाराजश्री ने रुक्मिणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया। उन्होंने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण-रुक्मिणि के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं, उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। महाराज श्री ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन बहुत बड़ी सीख प्रदान करता है। अनासक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण अगर किसी के जीवन में देखने को मिलता है तो वो भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में ही मिलता है। जिसके जीवन में न पाने की प्रसन्नता न खोने का शोक। जब रहे, जहां रहे, पूरे के पूरे रहे। जब तक गोपियों के बीच रहे गोपियों के बनकर रहे और जब मथुरा गये तो वहीं के होकर रह गये। उन्होंने कहा कि जीवन की समग्रता अथवा पूर्णता का नाम ही तो श्रीकृष्ण है। जिसे श्रीकृष्ण के आदर्शों पर जीना आ गया उसका जीवन रोग - शोक अथवा तो राग - द्वेष से मुक्त होकर आनंदमय भी हो गया।रास पंच अध्याय का वर्णन डॉ। संजीव कृष्ण ने रास पंच अध्याय का वर्णन करते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया। महारास लीला से ही जीवात्मा - परमात्मा का मिलन हुआ। भगवान श्री कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया।पूर्णाहुति आज श्रीधाम वृंदावन से पधारे कथा प्रवक्ता डॉ। संजीव कृष्ण ठाकुर के सान्निध्य में मालीराम घनश्याम दास गढ़वाल परिवार (थोई निवासी, राजस्थान) द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का सातवें दिन सोमवार 24 जुलाई को हवन यज्ञ में पूर्णाहुति के बाद विश्राम होगा। सोमवार की सुबह श्री सुदामा चरित्र, व्यास पूजन की कथा का प्रसंग होगा। इनकी रही मौजूदगी
रविवार को भगवान श्रीकृष्ण एवं मां रुक्मणी विवाह के अवसर पर कथा के दौरान पुष्पा, विमला, रीता, ममता, रीतू विनीता, बिन्दिया, सुनीता, नेहा, प्रिया, टिृंवंकल, टिशा, मौली, मान्या, भूमि, रोहित, मोहित, कृष्णा, राधव, कार्तिक, वैभव, अथर्व, हिमांशु, हार्दिक, अन्नु सहित सैकड़ों महिलाएं शामिल हुई।