फिर हो सर्जिकल स्ट्राइक, राजनीति की जरूरत नहीं
JAMSHEDPUR:दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से आयोजित मिलेनियल्स स्पीक के तहत युवाओं ने रविवार बर्मामाइंस स्थित डलनप ग्राउंड में राजनीटी में लोकसभा इलेक्शन को लेकर अपनी राय रखी। सभी ने ' सर्जिकल स्ट्राइक को किस नजरिये से देखते है, क्या यह चुनावी मुद्दा रहेगा ' विषय पर अपनी राय रखी। इस पर सबसे पहले बोलते हुए राकेश कुमार ने कहा जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के कैंप पर पाकिस्तानी सेना ने हमला किया था। इसका बदला लेते हुए सितंबर 2016 की रात को भारतीय सेना के जांबाजों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सात आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था। देश के सैन्य इतिहास में यह घटना अपने आप में अविस्मरणीय है, क्योंकि पहली बार किसी सरकार ने इस तरह से पाकिस्तान की बर्बरता का बदला लेने की हिम्मत दिखाई थी। वही इस पर बोलते हुए अनिल कुमार ने कहा सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान को और वहां पनाह लिए आतंकवादियों को जबाव मिला है, जिससे पाकिस्तान डरा हुआ है। फिर से सर्जिकल स्ट्राइक होनी चाहिए वो भी बड़े स्तर पर, लेकिन इसपर राजनीति नहीं हो, क्योंकि यह सेना कार्य है तथा इसका श्रेय किसी सरकार को नहीं बस सेना को जाना चाहिए। वहीं इसपर बोलते हुए प्रेम चंद्र ने कहा कि उरी का बदला लेते हुए भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। उरी हमले 18 सैनिक शहीद हुए थे। इस बार तो पुलवामा में 40 जवान शहीद हुए, इसमें सरकार को बड़ा एक्शन लेकर बड़े सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति बनानी चाहिए।
सर्जिकल स्ट्राइक एक मात्र विकल्प सुनील ने कहा सेना द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक एक अच्छा कदम तथा सेना का एक मात्र विकल्प था। इसमें सरकार की कोई कामयाबी नहीं है। सरकार और विपक्ष ने सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीतिक रोटी सेकने का काम किया है। सर्जिकल स्ट्राइक पहले भी होते रहे हैं। राकेश कुमार ने कहा सेना को खुफिया एजेंसियों से सूचना मिली थी कि घुसपैठ करने की फिराक में आतंकी एलओसी के पास इकट्ठा हुए हैं। ये जम्मू-कश्मीर व मेट्रो शहरों को निशाना बना सकते हैं। ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक ही इनके खात्मे का एकमात्र विकल्प था, इससे पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक हुए हैं। इसे लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए और विपक्ष को भी सेना पर उंगली नहीं उठानी चाहिए। सेना के खून से न हो राजनीतिसर्जिकल स्ट्राइक पर बोलते हुए अभिषेक कुमार ने कहा सेना ने अपना काम किया है। सेना हमेशा ऐसे एक्शन लेती है, पर सरकार ने इसका ढिंढोरा पीटने का काम किया है और इसे चुनावी मुद्दा बना लिया है। इसके कारण विपक्ष भी सरकार के साथ साथ सेना पर भी उंगली उठाने का कार्य कर रही है, तथा सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत तक मांग ले रही है। ऐसे एक्शन होते रहने चाहिए पर राजनीतिक करण नही होना चाहिए।
सर्जिकल 2 स्ट्राइक की जरूरत चर्चा के दौरान युवाओं ने कहा कि यह अच्छी बात है कि पुलवामा अटैक के बाद देश के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों साथ हैं तथा पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात की जा रही है। उरी में जो हुआ उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक सेना सबसे अच्छा कदम था। सरकार ने भी इसकी ब्रांडिंग कर पूरा श्रेय लेने की कोशिश की। अब पुलवामा हमले के बाद सेना सर्जिकल स्ट्राइक-2 को अंजाम देना चाहिए। मेरी बातजम्मू-कश्मीर के उड़ी में भारतीय सेना के कैंप पर पाकिस्तानी सेना ने हमला किया था। इसका बदला लेते हुए सितंबर 2016 की रात को भारतीय सेना के जांबाजों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सात आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। देश के सैन्य इतिहास में यह घटना अपने आप में अविस्मरणीय मानी गई है, इसका फायदा सरकार को मिलेगा, फिर से बड़े लेवल पर स्ट्राइक की जरूरत है।
राकेश कुमार कड़क मुद्दा सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान को तथा वहां पनाह लिए आतंकवादियों को जबाव मिला है। इससे पाकिस्तान डरा हुआ है। फिर से सर्जिकल स्ट्राइक होना चाहिए वो भी बड़े स्तर पर, लेकिन इसपर राजनीति ना हो। क्योंकि यह सेना कार्य है, तथा इसका श्रेय किसी सरकार को नहीं बस सेना को जाना चाहिए। अनिल कुमार पहली बार किसी सरकार ने इस तरह से पाकिस्तान की बर्बरता का बदला लेने की हिम्मत दिखाई थी, जिसका फायदा इस बार सरकार को लोकसभा इलेक्शन में मिल सकता है। अभिषेक कुमार उरी का बदला देते हुए भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक किया था। उरी हमले 18 सैनिक शहीद हुए थे, इस बार तो पुलवामा में 40 जवान शहीद हुए। एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है। प्रेम चंद्र सेना द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक एक अच्छा कदम तथा सेना का एक मात्र विकल्प था। इसमें सरकार की कोई कामयाबी नहीं है। सरकार और विपक्ष को सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीतिक रोटी सेंकने से बचना चाहिए। सुनील कुमारसर्जिकल स्ट्राइक पहले भी होते रहे हैं। सेना को खुफिया एजेंसियों से सूचना मिली थी कि घुसपैठ करने की फिराक में आतंकी एलओसी के पास इकट्ठा हुए हैं। ये जम्मू-कश्मीर व मेट्रो शहरों को निशाना बना सकते थे। ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक ही इनके खात्मे का एकमात्र विकल्प था, सेना द्वारा किया गया एक साहसिक कदम है, पर सरकार तथा विपक्ष इस पर राजनीति कर रही है।
प्रदीप नायक सेना ने अपना काम किया है। सेना हमेशा ऐसे एक्शन लेती है, पर सरकार ने इसका ढिंढोरा पीटने का काम किया है तथा इसे चुनावी मुद्दा बना लिया है। विपक्ष भी सरकार के साथ साथ सेना पर भी उंगली उठाने का कार्य कर रही है। ऐसे एक्शन होते रहने चाहिए पर राजनीतिक करण नही होना चाहिए। सुनील कुमार यादव पुलवामा अटैक के बाद देश के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनो साथ है तथा पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कर रही है। उड़ी में जो हुआ उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक सेना सबसे अच्छा कदम था, सरकार ने भी इसकी ब्रांडिंग कर पूरा श्रेय लेने की कोशिश की। अब पुलवामा हमले के बाद सेना को सर्जिकल स्ट्राइक 2 को अंजाम देना चाहिए, शीतल कुमार पांडे पुलवामा हमले के बाद देश उबल रहा है। सेना को कुछ बड़ा करना होगा। लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कोई भी पार्टी राजनीति नहीं करे। यह देश की सुरक्षा का मुद्दा है। टूनटून यादव सर्जिकल स्ट्राइक फिर से हो पर, सुरक्षा में चुक नहीं होनी चाहिए। सुरक्षा में चूक के कारण है, पुलवामा में इतना बड़ा आत्मघाती हमला हुआ है। पुलवामा हमले के बाद देश उबल रहा है। लोग एक बड़े सर्जिकल स्ट्राइक की मांग कर रहे हैं। जीतेंद्र कुमार सिंह इससे सरकार को फायदा को होगा क्योंकि इस सरकार ने सरकार सर्जिकल स्ट्राइक की ब्रांडिंग की, कांग्रेस के समय भी सेना ने पाकिस्तान पर कई हमले किए, पर ब्रांडिंग के अभाव के कारण जनता तक इसकी जानकारी नहीं पहुंच पाई। यह सरकार की बल्कि सेना की लिए सराहना की बात है। विपक्ष ने भी सर्जिकल स्ट्राइक की सबूत मांग सेना पर सवाल उठाए थे, जो गलत है। सुनिल सोरेन