भागवत कथा से मिलती है मानसिक शांति : स्वामी वृजनंदन
JAMSHEDPUR: मानगो एनएच-33 स्थित वसुंधरा एस्टेट में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पहले दिन बुधवार को वृंदावन से आए स्वामी वृजनंदन शास्त्री ने व्यासपीठ से व्यास-नारद संवाद, पांडव चरित्र, शुकदेव आगमन पर परिचर्चा करते हुए कथामृत का भक्तों को रसपान कराया। कहा कि दुख में ईश्वर ही व्यक्ति के साथ होता है। इसलिए दुख आने पर भक्त घबराता नहीं। मानसिक बीमारियों से पीडि़त समाज आज मानसिक शांति चाहता है और यह शांति केवल भगवात कथा से ही मिल सकती है। भागवत कथा शांति गीत, पावन-पुनीत और पापों को मिटाने वाली है। भगवान का स्वरूप सत्य है, चित्त है और आनंद है। आनंद ही कृष्ण हैं, कृष्ण ही आनंद हैं। संसार से जो हमें प्राप्त होता है वह सुख हो सकता है, आनंद नहीं।
वृजनंदन शास्त्री ने कथा के माध्यम से भगवान के अलग-अलग रूपों की झांकियों का दर्शन कराते हुए कहा कि संसार में हर व्यक्ति को जिंदगी में बहुत कुछ मिल सकता है पर सब कुछ नहीं। अत: आत्मदेव के दुख का कारण था संतान का नहीं होना। इस संसार में कोई तन से दुखी, तो कोई मन से दुखी तो कोई धन के अभाव में दुखी है। संसार में दुखों से मुक्ति का मार्ग है आत्मचिंतन, न कि आत्महत्या। आत्महत्या महापाप है। जीव मात्र को भगवान की कथा केवल भगवान की प्रीति ही नहीं, जीना भी सिखाती है। बुधवार को यजमान के रूप में उमाशंकर शर्मा, किरण शर्मा, कृपा शंकर शर्मा, कृष्णा उर्फ काली शर्मा, जय प्रकाश शर्मा थे। कथा में सैकड़ों की संख्या में भक्तगण शामिल थे।
मानव धर्म का वास्तविक ज्ञान कराते हैं श्रीराम : वाजपेयीउधर, उत्तर प्रदेश संघ के तत्वावधान में एमएनपीएस स्कूल में आयोजित श्रीराम कथा के दूसरे दिन बुधवार को पंडित राजकुमार वाजपेयी ने कहा कि इस सृष्टि को सृष्टिकर्ता ही संचालित करता है। निर्गुण निराकार ब्रह्मा स्वयं ही साकार ब्रह्मा बनकर कभी राम, कभी कृष्ण आदि रूपों में आते हैं और मानव धर्म का वास्तविक ज्ञान कराते हैं। अयोध्या में महाराज दशरथ और कौशल्या के यहां श्रीराम पुरुषार्थ के चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष अर्थात राम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न के रूप में आए। शक्ति स्वरूपा सीता ज्ञानरूप जनक के यहां रावण का विनाश करने के लिए अवतार लिया। यही अवतार वाद की अवधारणा हर धर्म के स्वरूपों में दृष्टिगोचर होती है। कथा में संघ के अध्यक्ष अखिलेश कुमार दुबे, महासचिव डॉ। डीपी शुक्ला, एके पांडेय, केपी सिंह, गीता शुक्ला, आरती सिंह, संगीता सिंह, शिव शंकर पाल, आरजी त्रिपाठी, राधे श्याम सिंह, बचन दुबे, बालकृष्ण वाष्र्णेय सहित तमाम सदस्य व श्रद्धालु मौजूद थे।