स्वर्णरेखा बर्निग घाट पर साढ़े पांच घंटे तक काटा बवाल
छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: शहर में पहली बार शनिवार को कोरोना संक्रमित दो लोगों की मौत हुई थी। इनका अंतिम संस्कार कराना जिला प्रशासन के लिए चुनौती बन गई। रविवार को सुबह चार बजे भुइयांडीह स्थित स्वर्णरेखा बर्निंग घाट में शवों के अंतिम संस्कार को लेकर जमकर हंगामा हुआ। सैकड़ों बस्तीवासियों ने इसका विरोध करते हुए पथराव तक किया। इससे दो महिला पुलिसकर्मी को चोट लगी, तो बर्निंग घाट के चार कमरों की खिड़की के शीशे तोड़ टूट गए। बवाल बढ़ता देख पुलिस को हल्का बलप्रयोग करना पड़ा। फिर भी भीड़ वहां से हटने को तैयार नहीं थी। प्रशासन ने पूर्व विधायक दुलाल भुइयां को बुलाया, तब माहौल शांत हुआ।
कर्मियों को भगा दियाइससे पहले बस्तीवासियों ने श्मशान घाट के कर्मचारियों को चेतावनी देकर सुबह छह बजे ही भगा दिया। प्रशासन ने श्मशान घाट का बर्नर जलाने के लिए बिष्टुपुर स्थित पार्वती घाट से कर्मचारियों को बुलाया। इस दौरान रूक-रूक कर हंगामा होता रहा। बवाल इतना बढ़ा कि पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। रैफ जवानों की तैनाती कर दी गई। बर्निंग घाट को पूरी तरह पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया। इसके बाद भी हंगामा नहीं थमा। प्रशासन व बर्निंग घाट के सचिव सी गणेश राव ने भी बस्तीवासियों को समझाया।
किसी तरह हुए राजीबस्ती के लोग किसी तरह अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए तो प्रशासन ने राहत की सांस ली। पहले शव को तीन परिजनों की उपस्थिति में शवदाह गृह में घुसाया गया। इससे पूर्व उपस्थित परिजनों ने अंतिम संस्कार की रस्म दूर से ही अदा की। इसके बाद साकची सुवर्णरेखा फ्लैट की रहने वाली दूसरी महिला का शव दोपहर 12 बजे घाट पहुंचा। महिला के पुत्र ने मुखाग्नि देने से मना कर दिया।
यह है विरोध की वजह स्थानीय लोगों ने बताया कि कोरोना संक्त्रमित का शव जलाने से जो धुंआ निकलेगा उसमें कोरोनावायरस होगा जिससे कि बस्ती के लोग प्रभावित होंगे। जब शव सोनारी का है तो उसका अंतिम संस्कार स्वर्णरेखा बर्निंग घाट में क्यों किया जा रहा है। एसडीओ चंदन कुमार ने कहा कि कुछ लोगों ने विरोध किया लेकिन लोगों को समझना होगा कि शव जलाने से कोरोना नहीं फैलता। उन्होंने कहा कि स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है। शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।