टाटा मोटर्स जमशेदपुर में 2700 मजदूरों का होगा स्थायीकरण
जमशेदपुर (ब्यूरो): टाटा मोटर्स में अगले तीन साल में 2700 अस्थायीकर्मियों का स्थायीकरण होगा। इसके तहत हर साल 900 और हर तीन महीने पर 225 कर्मियों का स्थायीकरण किया जाएगा। इसे लेकर गुरुवार को टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन, टाटा मोटर्स प्रबंधन एवं झारखंड सरकार के श्रम विभाग के बीच एक समझौता हुआ। इसके साथ ही पिछले कुछ दिनों से चल रही वार्ता के दौर का भी समापन हो गया। इस समझौते में प्रबंधन की ओर से वी पी विशाल बादशाह, प्लांट हेड रविंद्र कुलकर्णी, एचआर हेड मोहन गंट, ई आर हेड सौमिक राय, लीगल हेड श्रीवर्धन, झारखंड सरकार की ओर से श्रमायुक्त एवं उपश्रमायुक्त, यूनियन की ओर से अध्यक्ष गुरमीत सिंह, महामंत्री आरके सिंह, सलाहकार प्रवीण सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष अनिल शर्मा, संयुक्त महामंत्री अजय भगत शामिल हुए।जोरदार स्वागत हुआ
समझौता के बाद टेल्को वर्कर्स यूनियन कार्यालय पहुंचने पर यूनियन पदाधिकारियों का जोरदार स्वागत हुआ। इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए यूनियन महामंत्री आरके सिंह ने बताया कि समझौते के तहत हर वर्ष 900 अस्थाई कर्मचारियों का स्थायीकरण होगा। इसके तहत हर तिमाही पर 225 मजदूर स्थाई किए जाएंगे। आगामी 3 साल में सभी अस्थाई को स्थायी कर दिया जाएगा। इसके साथ ही अन्य कई बातों पर भी सहमति बनी। इसके तहत स्थायी होने वाले कर्मचारी का स्थानांतरण नहीं होगा। इसके साथ ही वार्ड रजिस्ट्रेशन भी पूर्व की भांति चालू रहेगा। नई नियोजन के लिए एम्प्लोयी वार्ड को अप्रेंटिस के माध्यम से प्रवेश मिलेगा। अप्रेंटिस के उपरांत कंपनी खर्चे पर डिप्लोमा कराया जाएगा। डिप्लोमा के उपरांत नियोजन किया जाएगा। यदि कर्मचारी पुत्र या पुत्री आगे पढऩा चाहते हैं तो बी टेक और एम टेक तक की पढ़ाई कंपनी की ओर से कराई जाएगी।नहीं होगा ट्रांसफर महामंत्री आरके सिंह ने कहा कि सीनियरिटी के आधार पर हर तिमाही में 225 लोगों का स्थायीकरण होगा। स्थायी होने के बाद जो स्थानांतरण नहीं किया जाएगा। उनकी गुणवत्ता का उपयोग टाटा मोटर्स जमशेदपुर प्लांट में किया जाएगा। इसके साथ ही एक महीने के अंदर अप्रेंटिसशिप की बहाली ली जाएगी। अप्रेंटिसशिप के बाद डिप्लोमा के उपरांत नियोजित किया जाएगा।कमजोर कर रहे लड़ाई यूनियन के सलाहकार प्रवीण सिंह ने कहा कि टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन लगातार मजदूर हित के कार्यों के प्रयास में रहती है और यह समझौता इसी का परिणाम है। उन्होंन कहा कि दुख की बात यह है कि आज भी कुछ लोग खुद को नेता बनने की कोशिश में श्रमायुक्त को पत्र लिखकर मजदूरों की लड़ाई को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।