Jharkhand Election Result 2019: कैसे लालू प्रसाद यादव ने जेल से लिखी गठबंधन की जीत की पटकथा, बीजेपी को दी मात
रांची (आईएएनएस)। चारा घोटाला मामले में झारखंड के बिरसा मुंडा जेल में बंद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का राजनीतिक करियर लगभग खत्म हो गया था लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी, झामुमो और कांग्रेस के गठबंधन को बचाकर अपने कौशल को साबित किया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एक नेता के अनुसार, लालू प्रसाद फिलहाल रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में भर्ती हैं, जो राज्य में ग्रैंड अलायंस के लिए एक वरदान साबित हुआ है, गठबंधन 81 सीटों में से 45 पर बढ़त बनाए हुए है। Live blog: Jharkhand assembly election results 2019 live updates: झारखंड में बदलेगी सरकार, हेमंत सोरेन बनेंगे नए सीएमजॉइंट प्रेस कांफ्रेंस में तेजस्वी ने नहीं लिया भाग
विधानसभा चुनावों से पहले, जब कांग्रेस, राजद और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) झारखंड में सीट बंटवारे को लेकर अंतिम बातचीत कर रहे थे, तो राजद प्रमुख ने अपने बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव गठबंधन फार्मूला को स्वीकार करने के लिए मनाया था। एक राजद नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि तेजस्वी यादव अपनी पसंद की अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते थे। उसने कहा, 'अपनी मांगों के बाद, तेजस्वी ने राज्य की राजधानी में मौजूद होने के बावजूद रांची में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भाग नहीं लिया। राजद नेता की अनुपस्थिति के बाद, राज्य में ग्रैंड अलायंस के भविष्य पर सवाल उठ रहे थे। हालांकि, लालूजी ने तब तेजस्वी को (झामुमो प्रमुख) हेमंत सोरेन और कांग्रेस नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए मना लिया।'Jharkhand Election Result 2019: हेमंत सोरेन, झारखंड की राजनीति का नया सिताराअगर तेजस्वी को नहीं मनाते लालू तो टूट सकता था गठबंधन
राजद नेता ने कहा, 'लालूजी जानते थे कि अगर तेजस्वी अपनी मांगों पर अड़े रहे, तो विपक्ष विधानसभा चुनावों से पहले टूट जाएगा और भाजपा आसानी से जीत जाएगी।' वहीं फोन पर आईएएनएस से बात करते हुए, राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा, 'यह लालूजी का अनुभव था जिसने राज्य में चुनाव से पहले गठबंधन को बचा लिया। और झारखंड में अहंकारी भाजपा को हराने के लिए झारखंड में लालूजी के अनुभव ने महागठबंधन की मदद भी की। उन्होंने कहा कि सही समय पर लालू प्रसाद के हस्तक्षेप ने राज्य में भाजपा विरोधी दलों को एक साथ लाने में मदद की क्योंकि उन्होंने तेजस्वी यादव को राजद को आवंटित सात सीटों के लिए सहमत होने के लिए राजी किया। वहीं, झामुमो और कांग्रेस ने 43 और 31 सीटों पर चुनाव लड़ा।