अफ़ग़ानिस्तान के जेलों की व्यवस्था एक समय बहुत ख़राब थी और एक समय उसमें हिंसा की घटनाओं और उपद्रवी तत्वों की भरमार थी. लेकिन जेल सुधारों की पहल ने हेलमंड में मौजूद लश्कर गाह के जेल को एक मॉडल जेल में तब्दील कर दिया है.

लश्कर गाह की जेल अफगानिस्तान की दूसरी जेलों की तरह नहीं लगती जहां बर्बरता बरबस टपकती सी महसूस होती थी. लेकिन कुछ साल पहले तक इस कारागार को क़ाबू में रखना मुश्किल था, जेल अधिकारियों की हत्या हो जाती थी और जेल में किसी विदेशी का घुसना तो लगभग नामुमकिन था.

लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. इस कारागार का मकसद अब तालिबान से ताल्लुक रखने वाले कैदियों को भी महज़ सज़ा देना नहीं बल्कि उनका पुनर्वास भी है.

पुनर्वास

लश्कर गाह जेल के वर्कशाप में क़ैदियों को कई काम सिखाए जाते है जिनमें मोटर साइकिल की इंजन की मरम्मत भी शामिल है. मरम्मत के काम में कई ऐसे लोग भी शामिल हैं जो पिछले साल अफीम की फ़सलों पर पड़े छापे में पकड़े गए थे.

वहीं एक दूसरे कमरे में क़ैदी कढ़ाई सीख रहे हैं. इनमें से कई कत्ल और अपहरण के लिए जेल काट रहे हैं. इन्हें कंप्यूटर और अंग्रेज़ी की तालीम दी जा रही है. एक कैदी असदुल्लाह कहते हैं, "मैं पहले तालिबान के साथ था. मैंने पहली बार अंग्रेजी और कंप्यूटर की क्लासों में हिस्सा लिया है. यहां 100 के बराबर छात्र हैं जिनमें से अस्सी फीसद तालिबान से ताल्लुक रखते हैं. वो कंप्यूटर देखकर बहुत ख़ुश होते हैं."

इस जेल को एक आदर्श कारागार के तौर पर स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई है फिल राबिन्सन ने जो पूर्व ब्रितानी जेल अधिकारी हैं. फिल कहते हैं, "हमारा लक्ष्य है कि हम इन कैदियों के साथ काम करें. हम उन लोगों के साथ काम करते हैं जो चरमपंथ की तरफ चले गए हैं ताकि उनकी ज़हनियत में बदलाव लाया जा सके. हम उम्मीद करते हैं कि रिहाई के बाद वो उस ओर का रुख नहीं करेंगे."

महिला कैदी

जेल में कुछ महिला क़ैदी भी हैं जिन्हें बाक़ी लोगों से अलग रखा गया है. इनमें से ज्यादातर वैसी औरतें है जो अत्याचार करने वाले पतियों को छोड़कर भागी हैं.

एक महिला क़ैदी कहती हैं, "मैं घर छोड़कर इसलिए भागी क्योंकि मैं अपने शौहर से तलाक लेना चाहती थी. मेरी शादी बहुत छोटी उम्र में कर दी गई थी. वो बहुत ही ज़ालिम था. मैंने और कुछ नहीं किया था. मैं भागकर सरकार के पास गई, कहा कि मुझे इंसाफ चाहिए लेकिन उन्होंने मुझे जेल में डाल दिया."

ये भी अफगानिस्तान का एक सच है कि पति से हिफाजत के नाम पर उन्हें जेल काटनी पड़ती है क्योंकि शौहर भागी हुई बीवी से किसी भी हालत में बदला लेना चाहते हैं.

जेल में सुरक्षा को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं किया गया है. कैदियों को रिहा करवाने के इरादे से तालिबान ने जेल पर कई सुनियोजित हमले किए हैं. लेकिन उन्हें कामयाबी हासिल नहीं हुई है.

हालांकि ये आदर्श जेल ब्रितानी सहयोग से चल रहा है. ये मालूम नहीं कि जब साल के अंत में ब्रितानी सेनाओं की वापसी शुरू हो जाएगी तो हालात कैसे रहेंगे.


Posted By: Garima Shukla