इंडिया के अपने नेवीगेशन सिस्टम NavIC को पूरी ताकत देने 12 अप्रैल को लॉन्च होगा IRNSS-1i सैटेलाइट
चेन्नई: ISRO यानि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 12 अप्रैल यानि को एक नेविगेशन उपग्रह लांच करने जा रहा है। यह उपग्रह सैटेलाइट आधारित नेविगेशन मैप सिस्टम NavIC का हिस्सा होगा। इसरो ने मंगलवार को बताया है कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से यह 1.4 टन वजनी उपग्रह गुरुवार को सुबह 4:04 पर लॉन्च किया जाएगा। दरअसल IRNSS 1i उपग्रह नाविक सिस्टम का हिस्सा है और पूर्व में असफल लॉन्च का शिकार बने IRNSS 1A सैटेलाइट की जगह लेगा। सात नेविगेशन उपग्रहों में से पहला IRNSS 1A तीन रुबिडियम परमाणु घडियों के काम न करने के कारण निष्प्रभावी हो गया है। इसी उपग्रह की जगह IRNSS 1i सैटेलाइट लॉन्च ISRO का दूसरा प्रयास होगा। पिछले साल अगस्त में इसी सैटेलाइट का विकल्प IRNSS-1H भेजा गया था, लेकिन वो लॉन्च भी सफल न हो सका था। PSLV से अंतरिक्ष में भेजे गए IRNSS-1H उपग्रह की हीट शील्ड लॉचिंग प्रक्रिया के दौरान अलग नहीं हो पाने से वो लॉन्च भी बेकार हो गया था। अब इसरो उसी सैटेलाइट को फिर से भेजकर नाविक सिस्टम को पूरा करने की कोशिश करेगा।
भारत के नाविक को नई ताकत देगा IRNSS-1 सैटेलाइट मिशनभारत के खुद के अपने नेवीगेशन मैप सिस्टम नाविक NavIC को पूरा करने स्पेस में जाएगा यह आठवां उपग्रह। भारत के पोलर सैटेलाइट लॉन्च वेहीकल यानि PSLV-C41 की 43 उड़ान के साथ स्पेस में भेजा जाएगा IRNSS-1i सैटेलाइट। इस नए सैटेलाइट सिस्टम से भारत गूगल मैप जैसे बेहतर नेवीगेशन सिस्टम का इस्तेमाल कर पाएगा।
क्या है नाविक (NavIC)भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम NavIC, जिसका मतलब संस्कृत या हिंदी भाषा में नाविक "या" नेविगेटर से होता है, दरअसल यह भारत की एक स्वायत्त क्षेत्रीय सैटेलाइट नेविगेशन प्रणाली है। यह सिस्टम भारत और आसपास के इलाके की सटीक, रियल टाइम लोकेशन और टाइमिंग सर्विस प्रदान करता है। NavIC सिर्फ भारत को ही नहीं बल्कि आसपास के कई देशों को भी कवर करता है। यह भारत के चारो ओर करीब 1,500 किमी (930 मील) के दायरे में काम करता है। इस नेवीगेशन सिस्टम को चलाने के लिए 7 उपग्रहों का एक पूरा समूह काम करता है और जमीन पर मौजूद दो अतिरिक्त उपग्रह स्टैंड-बाय मोड में होते हैं।
हालांकि पिछली 29 मार्च को भारत द्वारा लॉन्च किया संचार सैटेलाइट GSAT-6A ISRO की पकड़ से निकलकर अंतरिक्ष में यहां वहां घूम रहा है। अगर इस सैटेलाइट के साथ इसरो का संपर्क जल्दी ही जुड़ न सका, तो इसका हाल भी चाइनीज स्पेस लैब जैसा हो सकता है, जो कभी न कभी धरती पर आकर गिरेगा। फिलहाल हम उम्मीद करते हैं IRNSS-1i संचार सैटेलाइट अपने मिशन को पूरा करे और हमारा नाविक देश को बेहतरीन नेवीगेशन सर्विसेज प्रदान करे।
इनपुट: PTIयह भी पढ़ें: ये व्हेल मछलियां गा सकती हैं 100 से ज्यादा गानें, 184 गानें तो रिकॉर्ड भी हो गए
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