नेपाल में गठबंधन सरकार ने समर्थन वापस लेने की बात कह कर ओली सरकार के लिए एक संकट खड़ा कर दिया था। अभी 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि प्रचंड ने यू र्टन लेते हुए अभी ओली सरकार से समर्थन ना वापस लेने का फैसला किया है। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली को राहत देते हुए प्रचंड के नेतृत्व वाले माओवादियों ने गुरुवार को यूटर्न ले लिया है। माओवादी प्रमुख के बालूवतार स्थित आवास पर आज सुबह गठबंधन के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद सरकार को समर्थन जारी रखने का निर्णय किया गया।


24 घंटे से भी कम समय में बदला प्रचंड का फैसलाप्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार प्रमोद दहल के मुताबिक बैठक में यूसीपीएन माओवादी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के अलावा यूएमएल के वरिष्ठ नेता झालानाथ खनल और बामदेव गौतम भी मौजूद थे। माओवादियों ने 24 घंटे से भी कम समय में यू टर्न ले लिया। उन्होंने प्रचंड के नेतृत्व में नयी सरकार के गठन की घोषणा की थी। पार्टी ने यह खुलासा नहीं किया कि माओवादियों के साथ किस तरह का समझौता हुआ कि इसने अपना पहले का निर्णय बदल दिया। एक माओवादी नेता ने कहा हमारी पार्टी ने अभी इंतजार करने का निर्णय किया है क्योंकि इस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में कुछ कानूनी अड़चन है। फिलहाल गठबंधन बना रहेगा।संसद पर दिख रहा था सरकार गिरने का असर


सरकार गिरने का यह असर संसद में भी साफ दिख रहा है। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण का इंतजार किया जा रहा है। जिसके बाद सरकार के प्रोग्राम नीति और बजट को अगले 72 घंटे में पेश किया जा सके। इस नए राजनीतिक गतिरोध के बीच ओली ने संवैधानिक विशेषज्ञों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। उन्होंने इस मसले पर देश की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से भी मुलाकात की। संविधान में हाउस को भंग कर फ्रेश चुनाव कराने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसा अगले साल मई महीने के पहले ही संभव हो सकता है। ओली को जितने लोगों का समर्थन सरकार चलाने के लिए चाहिए उसे लगातार वह खोते जा रहे हैं।ओली ने की प्रचंड से मुलाकता पर नहीं बनी थी बातओली ने प्रचंड के साथ मीटिंग कर मंगलवार को इस गतिरोध को सुलझाने की कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं रहा। प्रचंड को यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट यूडीएमएफ का भी समर्थन प्राप्त है। मधेसी फ्रंट ने नए संविधान को लेकर ओली सरकार के खिलाफ पांच महीने तक आंदोलन चलाया था। पिछले साल 20 सितंबर को नेपाल में नए संविधान को स्वीकार किए जाने के बाद से मधेसियों ने ओली सराकर के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। यूडीएमफ के सूत्रों ने कहा हम लोग नेपाली कांग्रेस के किसी भी सदस्य को समर्थन करने के लिए तैयार हैं।ओली ने सत्ता छोड़ने से किया था इंकार

ओली सरकार अगले महीने नया बजट पेश करने की तैयारी कर रही है। इससे पहले यूसीपीएन माओवादी और मुख्य विपक्षी नेपाली कांग्रेस के बीच ओली नीत सरकार को गिराने का समझौता हुआ था। समझा जाता है कि प्रचंड और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के बीच सरकार का नेतृत्व बदलने और माओवादी प्रमुख के नेतृत्व में राष्ट्रीय सरकार बनाने का समझौता हुआ था। ओली के नेतृत्व वाले सात महीने पुराने सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार आने के बाद यह समझौता हुआ। मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ओली नीत सरकार की कार्यप्रणाली से खुश नहीं है। आंदोलनरत मधेशी दल पर ओली के नेतृत्व वाले गठबंधन सरकार से खुश नहीं हैं क्योंकि सरकार ने मधेशी दलों की मांग पर ध्यान नहीं दिया है।ओली के कामकाज के तरीके से खुश नहीं विपक्षी दल

ओली की पार्टी के भीतर भी एक ग्रुप है जो दबाव बना रहा है कि हाउस भंग कर फिर से चुनाव कराया जाए। इस ग्रुप का कहना है कि जब तक चुनाव न हो जाए तब तक वह प्रधानमंत्री बने रहें। उन्हें नए गठबंधन में नहीं शामिल होने को कहा जा रहा है। भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाने वाले प्रचंड पूर्व में संक्षिप्त अवधि के लिए प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वह 18 अगस्त, 2008 से 25 मई, 2009 के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री थे। मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस भी ओली सरकार के कामकाज के तरीके से खुश नहीं है। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने कहा कि सरकार मुख्य विपक्षी दल को नजरअंदाज करते हुए एकतरफा रूप से महत्वपूर्ण पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां कर रही है।

Posted By: Prabha Punj Mishra