एक और पत्रकार का सिर चढ़ा आईएसआईएस की भेंट, वीडियो जारी
2013 से इस्लामिक स्टेट के पास थे बंदीविदेश विभाग ने बताया कि सॉटलॉफ को इस्लामिक स्टेट ने पिछले साल से बंदी बना रखा था. वह 2013 में सीरिया से लापता हो गए थे. पिछले महीने वे एक वीडियो के आखिर में दिखाई दिए थे, जिसमें एक अन्य अमेरिकी पत्रकार जेम्स फॉली की हत्या को दिखाया गया था. तब से उन्हें वहां से वापस लाने की कोशिश बराबर जारी थी. उन्होंने यह भी कहा है कि अभी अमेरिकी खुफिया अधिकारी वीडियो के सही होने की बात का निर्धारण करने की कोशिश कर रहे हैं. क्या दिखाया है वीडियो में
वीडियो का शीर्षक है, "अमेरिका को दूसरा संदेश’’. वीडियो में पत्रकार सॉटलॉफ को नारंगी रंग के जंपसूट में घुटनों के बल बैठे हुए दिखाया गया है. उनके बगल में इस्लामिलक स्टेट का एक चरमपंथी हाथ में चाकू पकड़े खड़ा है. इसके साथ ही वीडियो में पत्रकार को यह कहते हुए दिखाया गया है कि वह इराक में अमेरिकी हस्तक्षेप की ‘‘कीमत चुका रहे हैं’’. वीडियो में ब्रिटेन के बंदी डेविड हेन्स की जिंदगी पर भी खतरा बताया है. यह खबर व्हाईट हाउस के रोजना संवाददाता सम्मेलन के दौरान फैली.परिवार के प्रवक्ता ने दी जानकारी
परिवार के प्रवक्ता बराक बर्फी ने आज दो वाक्यों में कहा कि स्वतंत्र पत्रकार स्टीवन सॉटलॉफ के परिवार वाले उनके साथ घटित इस भयावह घटना के बारे में जानते हैं और गहन तौर पर शोकाकुल हैं. उन्होंने जानकारी दी कि इससे पहले इस्लामिक संगठन के हाथों मारे गए एक अन्य पत्रकार फॉली की हत्या के बाद सॉटलॉफ की मां ने इस्लामिक स्टेट के नेता अबू बकर अल-बग़दादी से अपने बेटे को रिहा करने की अपील की थी. फिलहाल परिवार को अभी यह नहीं बताया गया है कि वीडियो विश्वसनीय है या नहीं. बर्फी ने बताया कि परिवार इस समय कोई अतिरिक्त टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं है. कितना सच है आईएसआईएस का दावा अमेरिका के पत्रकार स्टीवन सॉटलॉफ का सिर कलम करने का वीडियो सीरिया एवं इराक के आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने आज सोशल मीडिया पर जारी किया है. इसको लेकर अमेरिका के अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियां वीडियो की वास्तविकता की अभी जांच कर रही हैं. वीडियो को लेकर अभी सतर्कता बरतने की सलाह
व्हाईट हाउस के प्रवक्ता जोस अर्नेस्ट का कहना है कि अमेरिका अभी सभी रिपोर्टों की जांच कर रहा है. उन्होंने अभी सभी को वीडियो को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी है. वहीं ब्रिटेन की प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इसे घृणित कार्रवाई बताया है.