आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती का दशहरा के दिन शिलान्यास करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि नया शहर राज्य की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है जो कि भारत में आर्थिक क्रांति की अगुवाई कर सकता है।


राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा, “मैं अमरावती को एक ऐसा शहर बनाना चाहता हूं जिस पर भारत को गर्व हो और दुनिया ईर्ष्या करे।”पिछले साल जून में कांग्रेस सरकार ने राज्य का विभाजन कर तेलंगाना को देश का 29वां राज्य बनाया था।विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश के हिस्से में 26 में से 11 ज़िले आए और राज्य को कोई राजधानी भी नहीं मिली।जबकि 15 ज़िलों के साथ तेलंगाना को समुद्र तटीय और नदी वाला सम्पन्न इलाक़ा मिला।आंध्र प्रदेश को राजधानी के तौर पर हैदराबाद का इस्तेमाल करने के लिए 10 वर्ष की इजाज़त दी गई।अमरावती शहर को 7500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 33 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के ज़रिए अगले दस सालों में विकसित करने की योजना है।
उनके मुताबिक़, “मैं आम लोगों की साझीदारी के मार्फ़त इसे बनाना चाहता हूँ। तेलगू लोग, केंद्र सरकार, निवेशक, किसान...मैं चाहता हूँ कि हर कोई किसी ना किसी हिस्से को अपना समझे।”सिंगापुर की एक फ़र्म द्वारा बनाई गई अमरावती की योजना अगर दुस्साहसी नहीं है तो भी बहुत महत्वाकांक्षी है।


नायडू ने मुक़दमे और विरोध से बचने के लिए भूमि अधिग्रहण ऐक्ट का इस्तेमाल करने की बजाय सुई जेनेरिस नामक स्कीम प्रस्तावित किया, जिसके तहत किसान अपनी इच्छा से ज़मीन देंगे और इसके बदले उन्हें शहर में विकसित ज़मीन दी जाएगी।हालांकि एक किसान नेता मलेला हरिंद्रनाथ चौधरी का कहना है, “किसान इस बात से नाराज़ हैं कि नायडू की एकतरफ़ा विकास की सोच कार्पोरेट और उद्योगों को फ़ायादा पहुंचाएगी और हमसे ज़मीनें छिन जाएंगी। नायडू ने भारत की सबसे उपजाऊ जमीन लेने का फैसला किया है। हम यहां साल में तीन फसलें उगाते हैं और यह खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत ही अहम है।”जहां अमरावती शहर बनाया जाना है वो विजयवाड़ा से क़रीब 40 किलोमीटर दूर तुल्लार मंडल के चारो ओर का इलाका है। राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों से बचने के लिए इस राजधानी क्षेत्र में सरकार ने धारा 144 लगा दी है।इसके अलावा राजधानी क्षेत्र के चारो ओर संरक्षित वन क्षेत्र के 20,000 हेक्टेयर ज़मीन को अधिसूचि से बाहर कर दिया गया है।एक वन अधिकारी ने नाम न ज़ाहिर होन की शर्त पर कहा कि, “वन संरक्षण अधिनियम का यह उल्लंघन है। क़ानून के मुताबिक़, वन क्षेत्र से दोगुनी ज़मीन पर वन लगाने होते हैं और हर कटने वाले पेड़ के मुकाबले दो गुने पेड़ लगाने होते हैं।”

इस अधिकारी के अनुसार, “अगले कुछ महीनों में आंध्र प्रदेश ने एक करोड़ पेड़ काटने की योजना बनाई है। यह न केवल नियमों के ख़िलाफ़ है बल्कि एक पर्यावरणीय विनाश है। वो विविधतापूर्ण वाले जंगलों को नष्ट कर देंगे, जिसमें सागौन, यूकेलिप्टस, नीम और लाल चंदन के पेड़ हैं। जलायशयों, छोड़े पेड़ पौधों, जानवरों, पक्षियों और कीट पतंगों का क्या होगा?”वो कहते हैं, “एक पेड़ के पर्यावरणीय मूल्य 50,000 डॉलर के हिसाब से हम तीन अरब डॉलर मूल्य का हरा भरा जंगल नष्ट कर रहे हैं।”मोदी के कार्यक्रम की वजह से बीजेपी सरकार ने भी बहुत तेजी से क्लीयरेंस दिए।वरिष्ठ विपक्षी नेता उम्मारेड्डी वेंकेटश्वरलू के मुताबिक़, “यह जनता की नहीं कांट्रैक्टरों की राजधानी है। हम राजधानी का विरोध नहीं कर रहे हैं। इसे बनाने के लिए जिस तरह ग़ैर क़ानूनी हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, हम उसका विरोध कर रहे हैं।”
विजयवाड़ा की एक सड़क के किनारे छोटी सी चाय की दुकान लगाने वाले एन अप्पा राव कहते हैं, “नायडू जैसा विकास कर सकते हैं, वैसा कोई नहीं कर सकता। हम उनका समर्थन करते हैं क्योंकि हमें एक राजधानी की ज़रूरत है। हमारे सम्मान का मामला है। आंध्र प्रदेश के लोग रोटी के मुकाबले सम्मान को वरीयता देंगे। और अमरावती हमारा गर्व है।”(श्रीराम कारी बेस्ट सेलिंग क़िताब 'मैन' और 'ऑटोबायोग्राफ़ी ऑफ़ ए मैड नेशन' के लेखक हैं.)

Posted By: Satyendra Kumar Singh