कयामत के दिन की घड़ी, ट्रंप के कारण जिसका टाइम घटाया गया
क्या है डूम्सडे क्लॉक
डूम्सडे क्लॉक को 1947 में स्थापित किया गया था। यह एक काल्पनिक घड़ी है जो घरती पर मंडरा रहे खतरों का आंकलन करती है और इस बात की प्रतीक है कि मानवता इस ग्रह को खत्म करने के कितने नजदीक है। द बुलेटिन ऑफ द अटॉमिक साइंटिस्ट्स एक नॉन टेक्निकल अकादमिक पत्रिका है जिसने कई वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों की सहायता से इस घड़ी की स्थापना की और ऐसे ही लोगों की मदद से इस घड़ी में कयामत का समय निर्धरित किया जाता है। इस बार 16 नोबल पुरस्कार विजेताओं के सर्मथन से इस घड़ी में नया टाइम सेट किया गया है।
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डोनाल्ड ट्रंप बने वजह
बुलेटिन ऑफ द अटॉमिक साइंटिस्ट्स से जुड़े वैज्ञानिकों का मानना है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के न्यूक्लियर हथियारों और क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर दिए गए खतरनाक बयानों ने दुनिया को और ज्यादा असुरक्षित बना दिया है। इसी के चलते उन्होंने डूम्सडे क्लॉक में प्रलय के वक्त को 30 सेकंड और पहले खिसका दिया है। वैज्ञानिकों ने अपने कदम को और स्पष्ट करते हुए कहा है कि दुनिया भर में बढ़ते कट्टर राष्ट्रवाद, राष्ट्रपति ट्रंप के परमाणु हथियारों और ग्लोबल खतरों के मुद्दों पर दिए बयान, मॉर्डन टेक्नॉलिजी के विकास की वजह से ग्लोबल सिक्योरिटी पर गहराता संकट और वैज्ञानिकों की चेतावनियों के प्रति दिखाई जाने वाली उदासीनता इसकी वजह बनी है।
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1947 में कयामत के दिन की घड़ी को स्थापित करने के बाद से अब तक इसमें 19 बार बदलाव किया गया है। 1953 में इसके वक्त को आधी रात से दो मिनट पहले कर दिया गया था, जब सोवियत संघ ने पहला हाईड्रोजन बम फोड़ा था। वहीं, 1991 में इसे आधी रात से 17 मिनट पहले कर दिया गया। आखिरी बार इस घड़ी के 2015 में फेरबदल की गई थी और तब आधी रात के समय यानी रात 12 बजे से घड़ी को तीन मिनट पहले खिसकाया गया।
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