वैज्ञानिकों के एक शोध के अनुसार जब भी आपके शरीर की घड़ी में अनियमितता आती है और ये लगातार बनी रहती है तो आपको पार्किंसंस रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

क्या है पार्किंसंस रोग  
लंबे समय तक नींद की कमी और सोने का अनियमित समय आपके शरीर के जैविक चक्र को प्रभावित करता है, जिसके फलस्वरूप सामान्य व्यक्ति को पार्किंसंस रोग का अधिक खतरा होता है। पार्किंसंस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का एक विकार है, जो शारीरिक गतिविधियों को प्रभावित करता है, इसमें पीड़ित व्यक्ति के अंग कांपने लगते हैं।
क्या कहता है शोध
इस पर हुए शोध के अनुसार सिरकैडियन रिद्म की गड़बड़ी मोटर (तंत्रिका तंत्र का एक भाग जो गतिविधियों के क्रियातंत्र से संबंधित होता है) और सीखने की क्षमता को प्रभावित करती है। इसी सिरकैडियन रिद्म को आम भाषा में बायोलॉजिकल या बॉडी क्लॉक भी कहा जाता है। अमेरिका की लुईस काट्ज ऑफ मेडिसिन संस्थान से संबद्ध डोमेनिको प्रैक्टिको का कहना है कि कई अध्ययन बताते हैं कि नींद की कमी भी पार्किंसंस रोग का एक दूसरा प्रमुख कारण है, लेकिन बॉडी क्लॉक की बाधाएं पार्किंसंस रोग की शुरुआत की पहले ही जानकारी दे देती हैं, जिसके बाद इसे एक प्रमुख जोखिम माना जा सकता है।

कैसे असर करती है बॉडी क्लॉक
बॉडी क्लॉक में गड़बड़ी की वजह से सोचने-समझने, तर्क-वितर्क और निर्णय क्षमता भी प्रभावित होती है। अलग पालियों में काम करने वाले पेशेवरों को इसकी अधिक शिकायत रहती है। यह शोध 'मॉलीकुलर साइकियाट्री' पत्रिका के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित हुआ है।

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Posted By: Molly Seth