Irfan Pathan Birthday: नए जूते के लिए नहीं थे पैसे, 50 रुपये में फटा जूता खरीदकर खेलते थे मैच
कानपुर। 27 अक्टूबर 1984 को गुजरात के बड़ौदा में जन्में भारतीय ऑलराउंडर इरफान पठान को बचपन से ही क्रिेकेट खेलने का शौक था। इरफान के पिता अहमदाबाद की एक मस्जिद में मुअज्जिन थे। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। ऐसे में उनके पिता महूमद खान इरफान को क्रिकेटर बनाने के बजाए इस्लामिक स्कॉलर बनाना चाहते थे मगर किस्मत को कुछ और मंजूर था। इरफान ने कड़ी मेहनत कर क्रिकेट के गुर सीखे और टीम इंडिया में इंट्री पाई।
इरफान का बचपन भले ही संघर्षों में बीता मगर उनके अंदर क्रिकेटर बनने की ललक कभी कम नहीं हुई। इरफान के पिता महमूद ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि, जिस वक्त इरफान बड़ा हो रहा था तब हमारी इनकम ज्यादा नहीं थी। मस्जिद में झाड़ू लगाने के बदले 200-250 रुपये मिलते थे जिससे क्रिकेट किट नहीं आ सकती थी। तब स्पोर्ट्स शूज भी 5000 के आते थे। ऐसे में इरफान अपने पिता से 50 रुपये लेकर पास की मार्केट से फटे सेकेंड हेंड जूते ले आते थे जिन्हें घर में सिलते थे। फिर वही जूते पहनकर वो मैच खेलने जाया करते थे।
इरफान पठान की मेहनत आखिर साल 2003 में रंब लाई, जब 19 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू का मौका मिला। एक बार टीम में आ जाने के बाद इरफान ने मुड़कर नहीं देखा। टेस्ट डेब्यू के एक साल बाद इरफान वनडे टीम में आ गए। उन्होंने पहला वनडे मैच भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही खेला था। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज इरफान ने पांच साल टेस्ट क्रिकेट खेला। इस दौरान उन्होंने 29 मैचों में 100 विकेट अपने नाम किए। इसमें एक हैट्रिक भी शामिल है जो उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ कराची में ली थी। खैर बल्लेबाजी की बात करें तो टेस्ट में इरफान के नाम 31.57 की औसत से 1105 रन दर्ज हैं। टेस्ट में इरफान ने एक शतक और छह अर्धशतक भी लगाए हैं। वनडे क्रिकेट में इरफान के नाम 120 मैचों में 1544 रन और 173 विकेट दर्ज हैं।
बाएं हाथ के बेहतरीन गेंदबाज रहे इरफान छह साल से टीम इंडिया से बाहर हैं। भारतीय टीम की 'आलराउंडर एक खोज' के चलते इरफान का करियर ही डूब गया। शुरुआत में अपनी स्विंग से बल्लेबाजों को चकमा देने वाले इरफान पठान को आलराउंडर बनाना भारत के लिए खतरनाक साबित हुआ। बैटिंग सीखने के चक्कर में वह अपनी लाइन लेंथ ही खो बैठे। इसके बाद वह टीम में अंदर-बाहर होते रहे। फाइनली 2012 में आखिरी वनडे खेलने के बाद वह टीम से बाहर हो गए।