कौन हैं कोहली से जीत छीनने वाले वेंकटेश अय्यर, CA छोड़ा फिर MBA किया, बड़ी नौकरी मिली मगर क्रिकेट में बनाया करियर
कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। मध्यप्रदेश के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने वाले 26 साल के वेंकटेश अय्यर ने सोमवार को आरसीबी के खिलाफ आईपीएल डेब्यू किया। अपने पहले मैच में वेंकटेश ने 27 गेंदों में 41 रन की पारी खेली। इसी के साथ वह केकेआर की जीत के हीरो भी रहे। वेंकटेश कौन हैं और अचानक कहां से आ गए, इसको लेकर फैंस के मन में काफी सवाल होंगे। हालांकि इसका जवाब वेंकटेश ने खुद क्रिकइन्फो के साथ बातचीत में दिया था। वेंकटेश कहते हैं, 'विशेष रूप से रूढ़िवादी दक्षिण भारतीय परिवारों में, जहां माता-पिता बच्चों को पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करते हैं। मेरे मामले में, उलटा था मेरी माँ ने मुझे क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया जबकि मैं होशियार स्टूडेंट था।"
मां ने जबरदस्ती खेलने को किया मजबूर
26 वर्षीय वेंकटेश अय्यर, कोलकाता नाइट राइडर्स द्वारा अपनी पहली आईपीएल कैप सौंपे जाने के बाद,सबसे ज्यादा धन्यवाद अपनी मां को देना चाहेंगे। अय्यर, टाॅप ऑर्डर बल्लेबाज हैं। घरेलू सर्किट में मध्य प्रदेश के लिए आसान मध्यम गति से गेंदबाजी भी करते हैं। भारत के अधिकांश बच्चों की तरह शुरू में उन्होंने मस्ती के लिए क्रिकेट खेलना शुरु किया। वह कहते हैं, "ईमानदारी से कहूं, तो मैंने खेलना तब शुरू किया जब मेरी माँ अक्सर मुझे किताबों के साथ घर के अंदर रहने के बजाय बाहर निकलने के लिए प्रेरित करती थी।" हालांकि बाहर ज्यादा समय नहीं रह पाया क्योंकि 19 साल की उम्र तक मैंने क्रिकेट से ज्यादा अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया।'
पढ़ने में होशियार अय्यर ने बीकाॅम के साथ सीए (चार्टर्ड एकाउंट) में प्रवेश लिया। हालांकि बाद में उन्हें एक बड़ा फैसला लेना पड़ा सीए फाइनल का प्रयास करने का मतलब था कि खेल को छोड़ना पड़ता या कम से कम अस्थायी रूप से अपने क्रिकेट करियर को रोकना पड़ता। तब तक अय्यर ने मध्य प्रदेश की सीनियर टीम के लिए पहले ही टी20 और 50 ओवर का डेब्यू कर लिया था और राज्य की अंडर-23 टीम के कप्तान थे।
अय्यर कहते हैं, ''मैंने अपना सीए छोड़कर फाइनेंस में एमबीए करने का फैसला किया। मैंने बहुत सारे इंट्रेंस एग्जाॅम दिए और अच्छे अंक प्राप्त किए, और एक कॉलेज में एडमिशन ले लिया। मैं भाग्यशाली था कि फैकल्टी को क्रिकेट पसंद आया, और उन्होंने देखा कि मैं अच्छा कर रहा था। इसलिए उन्होंने मेरी अटेंडेंस और नोट्स में काफी सहूलियत दी।'
क्रिकेटर न होते तो आईआईटी या आईआईएम में होते
अय्यर कहते हैं, 'ईमानदारी से कहूं तो दोनों को मैनेज करने के लिए मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। मैं डींग नहीं मार रहा हूं, मैं हमेशा एक होनहार छात्र रहा हूं, हालांकि मैं अपने क्रिकेट के बारे में ऐसा नहीं कह सकता। मुझे अपनी पढ़ाई पर पूरा विश्वास था। अगर मैं क्रिकेटर नहीं बनता, तो IIT (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) या IIM (भारतीय प्रबंधन संस्थान) में अब तक एडमिशन ले चुका होता।' युवा बल्लेबाज ने आगे कहा, 'अगर ट्रेनिंग या लेक्चर्स में किसी एक को सलेक्ट करना पड़ता था तो मैं अक्सर ट्रेनिंग पर जाता था क्योंकि मुझे विश्वास था कि मैं पढ़ाई को कम समय में कवर कर सकता हूं।'
बड़ी नौकरी का ऑफर ठुकराया
अय्यर को 2018 में बड़ी फर्म डिलाइट में काम करने का ऑफर मिला जिसका भारत में ऑफिस बेंगलुरु में था। उस वक्त अय्यर के सामने फिर असमंजस की स्थिति आ गई कि नौकरी को पकड़ूं या क्रिकेट। आखिर में अय्यर कंपनी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिसका उन्हें अंततः पछतावा नहीं हुआ क्योंकि उन्होंने जल्द ही रणजी टीम में इंट्री कर ली। वेंकटेश कहते हैं, "मुझे पता था कि मैं प्रस्ताव नहीं लेने जा रहा था क्योंकि नौकरी करने काम मतलब था मुझे एक शहर से दूसरे शहर ट्रांसफर होना पड़ता। और इसका मतलब मेरे क्रिकेट का अंत होता। हम सभी को जीवन में प्लान बी की आवश्यकता होती है, है ना? तो मेरा एमबीए बस यही था।'
नौकरी जाने के बाद अय्यर को क्रिकेट में कुछ बड़ा करना था। वह कहते हैं, "मेरे पास एक दिवसीय सत्र अच्छा था, मेरे पास शतक नहीं था, लेकिन फिर छत्तीसगढ़ के खिलाफ दो तीन दिवसीय अभ्यास मैच थे। पहले गेम में मैं सस्ते में आउट हो गया, लेकिन दूसरा एक महत्वपूर्ण मोड़ था," वह कहते हैं। "उस वक्त मेरे एमबीए के इंटरनल एग्जाॅम चल रहे थे, इसलिए मैं कॉलेज गया, परीक्षा दी, जल्दी निकल गया। जब हम मैदान पर पहुंचे, तो हमारी टीम 60 रन पर 6 विकेट खोकर संघर्ष कर रही थी। मैं मैदान पर उतरा और मैंने शतक बनाया। मैंने उस मैच में शायद 130 ;k 132 रन बनाए थे। उस खेल के तुरंत बाद मुझे रणजी में डेब्यू करने का मौका मिला।"