बैंड एड को तो सभी जानते होंगे। अब चोट तो सभी को लगती है और छोटी-मोटी लेकिन दर्दनाक चोट लगने पर हर किसी को आज भी बैंड एड ही याद आता है। आपके पास भी शायद पर्स में ही बैंड एड पड़ा हो ताकि आपको जहां भी चोट लगे आप उसको तुरंत निकाल कर इस्‍तेमाल कर सकें। हो गया न ये बैंड एड आपका प्‍यारा लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि आपके दर्द के इस साथी बैंड एड की कहानी किसके दर्द के साथ जुड़ी है। यकीन मानिए इसके बनने की कहानी बेहद इंट्रस्‍टिंग और रोमैंटिक भी है। आइए जानें कहां से और कैसे आया ये बैंड एड।


ये लाए आइडिया अर्ले डिक्सन। ये वह शख्स थे, जिन्होंने असल मायने में बैंड एड की नींव रखी थी। अर्ले डिक्सन जॉन्सन एंड जॉन्सन कंपनी में काम करते थे। उसी दौरान उनकी शादी जोसेफ़िन नाइट से हुई थी। दोनों एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे और इसी प्यार के साथ दोनों ने अपना वैवाहिक जीवन शुरू किया। दोनों की जिंदगी में एक इंट्रेस्टिंग बात ये थी कि जोसेफ़िन जब भी किचेन में काम करतीं, तो उनको चोट जरूर लगती थी।कंपनी ने शुरू कर दिया प्रोडक्शन
अर्ले उस समय जॉन्सन एंड जॉन्सन कंपनी में काम करते थे। ये कंपनी उस समय कॉटन बायर होने के नाते रेशम के जालीदार कपड़े और टेप बेचती थी। कंपनी के ओनर ने जब अर्ले से अपनी पत्नी के लिए बनाए इस बैंडेज के बारे में सुना तो वो भी चौंक गए। इससे भी ज्यादा वो चौंके ये जानकर कि चोट लगने के बाद वह इसको सिर्फ 30 सेकेंड के अंदर इसको लगाकर चोट को मेडिकली कवर कर लेती हैं। ये आइडिया कंपनी में सभी को बहुत पसंद आया। उसी तर्ज पर कंपनी ने भी बैंड एड बनाने शुरू कर दिए और जल्द ही अर्ले डिक्सन को कंपनी को वाइस प्रेसिडेंट बना दिया गया।


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Posted By: Ruchi D Sharma