गुलज़ार-राखी के तलाक़ पर बोस्की का इंटरव्यू
लेकिन गुलज़ार को उनकी बेटी मेघना गुलज़ार के नज़रिए से भी जानना एक दिलचस्प अनुभव रहा।बीबीसी से ख़ास बातचीत में मेघना ने गुलज़ार के शख़्सियत के उस पहलू को बांटा जिससे ज़्यादा लोग वाकिफ़ नहीं है। एक पिता के तौर पर कैसे हैं गुलज़ार?बहुत संवेदनशील हैं पापागुलज़ार अपनी बेटी मेघना को प्यार से 'बोस्की' बुलाते हैं। बोस्की का मतलब होता है 'नरम'।जब हमने 'बोस्की' से उनके पिता गुलज़ार साहब के बारे में पूछा तो वो बोलीं," पापा बहुत ही संवेदनशील इंसान हैं, उनकी नज़ाकत, उनकी नरमी उनके हर काम में झलकती है। उनके गीतों में वही नरमी गुनगुनाती है।"
मेघना बताती हैं, "बिल्कुल! वो अब भी टेनिस खेलते हैं और अपने दोस्तों को हरा कर आते हैं। घर आकर अपनी जीत का बखान करते नहीं थकते। वो यही कहते हैं कि अभी तो मेरे खेलने के दिन हैं।"गुलज़ार को प्रतिष्ठित दादा साहब फालके पुरस्कार से नवाज़ा गया है। 'आंधी', 'मौसम', 'मेरे अपने', 'कोशिश', 'खुशबू', 'अंगूर', 'लिबास' और 'माचिस' जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके 78 साल के गुलजार ये सम्मान पाने वाले 45वें व्यक्ति हैं।