शिव सहज व एप्रोचेबल हैं
पांव जमीन पर रखना
मैंने बहुत जल्दी और तेजी से सपनों से हकीकत का सफर तय किया है। मेरी इस कामयाबी के पीछे भगवान शिव पर मेरी अगाध आस्था का संबल है। यही वजह कि कामयाबी ने मेरी निजी जिंदगी पर कोई ऐसा असर नहीं डाला है कि मेरे पांव जमीन से उखड़ जाएं। मैं चाहता हूं कि पांव जमीन पर ही रहें।
सहज बने रहना
मैंने शिवत्रयी लिखी। मेरे लिए शिव सहज हैं। सहजता ही मेरे आराध्य शिव का ऐसा गुण है जो उन्हें भोलेनाथ बनाती है। शिव स्वभाव के बेहद भोले हैं और इसीलिए भोलेनाथ कहलाते हैं। यह भोलापन ही उनकी विशेषता भी है। इसीलिए विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी वह सहज रहते हैं। सहज होने के ही कारण ही शिव का आर्शीवाद साधारण से साधारण व्यक्ति भी पा सकता है। दूसरे शदों में कहें तो वह एप्रोचेबल हैं।
सभी को सम भाव से देखो
आज के दौर में जिस तरह का भेदभाव समाज में फैला है उसे देख कर लगता है कि हर एक में शिव का भाव होना बेहद जरूरी है, जो सभी को सम भाव से देखते हैं। अपने भक्तों को जाति व वर्ग के आधार पर नहीं बांटते हैं।
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कर्तव्यपरायणता
हमारे पौराणिक आख्यानों में भगवान शिव और राम के अलावा भी ढेरों प्रेरक चरित्र हैं। मेरे लिए सबसे प्रेरक हनुमान हैं क्योंकि उनमें मुझे शिव जैसा भोलापन भी खूब नजर आता है। हनुमान के अदंर अपने आराध्य के प्रति अटूट श्रद्धा है। वह कर्तव्यपरायण हैं। अपना कर्तव्य पूरा करने से वह कभी पीछे नहीं हटते हैं और लक्ष्य प्राप्ति तक प्रयत्न करते रहते हैं।
आत्मबल
अपने प्रिय चरित्रों में से एक भगवान हनुमान की एक और बात भी मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं। शारीरिक बल के साथ आत्म बल। हनुमान के अंदर मैं गजब का आत्म बल पाता हूं। जो उनके लिए कठिन से कठिन लक्ष्य की प्राप्ति को भी काफी आसान बना देता है। साथ ही उनके पास शारीरिक बल भी है, जिससे उन्हें कोई समस्या नहीं होती है।
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आस्था व विश्वास
अमीश ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वह लेखक बनेंगे। वह इसे शिव कृपा मानते हैं। वह बताते हैं कि स्कूल में क्रिएटिव नहीं खेलने-कूदने वाले स्टूडेंट हुआ करते थे। 90 के दशक में करियर बनाने के जो चुनिंदा विकल्प थे उनमें से उन्होंने एक को चुना। समय के साथ उनकी लेखनी से मायथलॉजिकल चरित्रों का प्रवाह निकलता चला गया। उनकी पहली किताब पाठकों के पास पहुंचती उसके पहले 20 बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। इससे न तो उनकी आस्था प्रभावित हुई न ही विश्वास।
पैसे को लक्ष्य न बनाएं
आईआईएम से मैनेजमेंट की डिग्री हासिल करने वाले अमीश त्रिपाठी बेस्टसेलर लेखक बनने से पहले बैंकर रहे हैं। ऐसे में जीवन में पैसे की भूमिका उनसे बेहतर कौन समझा सकता है। लाइफ में पैसे की वैल्यु का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि उसे लेकर बतौर बैंकर और बतौर लेखक उनके नजरिए में बड़ा फर्क आया है। जब वे बैंकर थे तब पैसा उनके काम का केंद्र होता था पर अब वैसा नहीं है। लेखक के लिए पैसा नहीं फलसफे इंर्पोटेंट होते हैं। उन्होंने कभी पैसे को लक्ष्य नहीं बनाया।
नारी का सम्मान
अमीश वर्तमान समस्याओं का हल भी पौराणिक मान्यताओं के बीच से खोजते हैं। अतीत में अमीश ने कहा था कि ईश्वर हमारी पूजा तब तक नहीं स्वीकार करेंगे, जब तक हम स्त्री पर अत्याचार करेंगे। वह कहते हैं, पति और पिता के रूप में शिव हमारे सामने आदर्श हैं। वे न सिर्फ अपनी पत्नी से प्रेम करते हैं बल्कि उनके व्यक्तित्व का आदर भी करते हैं। शिव के अर्द्धनारीश्वर रूप में इसी का संदेश मिलता है।
हरि अनंत हरि कथा अनंता
राम के बाद कौन पर अमीश ने बताया कि अभी तो पांच उपन्यास राम पर ही लिख रहे हैं तो ध्यान कहीं और नहीं गया। इसके बाद हरि की अनंत कथा ही उनका संबल बनेगी ऐसा वे मानते हैं और इसीलिए उनकी योजना भविष्य में परशुराम, मनु और महाभारत के चरित्रों पर लिखने की है। आधुनिक भारत के किसी चरित्र पर लिखने के बारे में उन्होंने फिलहाल तो नहीं सोचा और आगे के बारे में कुछ कहना संभव नहीं है।
निश्चिंत निर्भय
अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए अमीश बेहद निश्चिंत नजर आते हैं। उन्हें आने वाले कल की कोई आशंका नहीं डराती। वो मानते हैं कि जब तक उनकी आस्था और श्रद्धा संबल बन कर उनके साथ चल रही है आने वाले वक्त का कोई भी भय उनको विचलित नहीं कर सकता। उनसे बात करने के बाद हमें भी यही लगा कि अमीश के जीवन में भय का सिर्फ एक ही अर्थ है अपने आदर्शों से भटकना। इसके अलावा और कुछ भी उन्हें परेशान नहीं करता।
Amish Tripathi
-वह वर्तमान में भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकारों में से एक हैं। इन्हें फोर्स मैग्जीन ने लगातार चार साल टॉप 100 इंडियन सेलेब्रिटीज की लिस्ट में जगह दी।
-उन्हें इंडियन मायथोलॉजी में पाठकों की रुचि जगाने का श्रेय दिया जाता है।
-शिव ट्रायलॉजी का उनका पहला उपन्यास इम्मॉर्टल्स ऑफ मेलुहा छपने के साथ ही बेस्टसेलर बन गया।
-अभी तक उनके चार उपन्यास आए हैं। इतिहास व दर्शन में गहरी रुचि रखने वाले अमीश साइंस ग्रेजुएट हैं।
-आईआईएम कोलकाता से मैनेजमेंट की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने 14 वर्षों तक बैंकिंग इंडस्ट्री में काम किया है।
Interview by : Molly Seth
molly.seth@inext.co.in