आजकल इंडिया में हमारे घरों से लेकर ऑफिस तक चारो ओर लेटेस्ट कंप्यूटर टेक्नोलॉजी पर चलने वाले लैपटॉप और स्मार्टफोन भरे पड़े हैं? इसकी वजह शायद यह है इतने बेहतरीन और हाई टेक कंप्यूटर और स्‍मार्टफोन न सिर्फ आसानी से हमारी जेब में समा जाते हैं बल्कि उनकी कीमतें भी हमारी जेब के लिए फिट बैठती हैं। पर जनाब क्या आप जानते हैं कि भारत में जब पहला कंप्यूटर खरीदा गया था तो उस वक्‍त जितनी कीमत उसके लिए अदा की गई थी वो आज के हिसाब से इतनी ज्‍यादा है कि उतने में तो हजारों कंप्‍यूटर खरीदे जा सकते हैं। तो चलिए इस रिपब्लिक डे पर सिर्फ उस कंप्‍यूटर की कीमत नहीं बल्कि जानिए इस पहले कंप्‍यूटर की दिलचस्‍प कहानी।

इंपोर्ट करके कहां लाया गया था भारत का पहला कंप्यूटर

इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट कोलकाता, जी हां यह उस जगह का नाम है जहां पर देश का पहला कंप्यूटर लगाया गया था। साल 1955 के अंतिम दिनों में यहां मंगाया गया था देश का पहला कंप्यूटर जिसका नाम था HEC-2M। इंस्टिट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिकों Dwijish Dutta, MM Mukherjee और Amaresh Ro के प्रयासों और इनकी निगरानी में ही देश का यह पहला कंप्यूटर ISI में स्थापित किया गया। अगर आप सोच रहे हैं कि यह कंप्यूटर किसी कंप्यूटर टेबल पर रखने लायक था तो जनाब एक बार दोबारा सोचिए। इंग्लैंड से दो रैक्स में रखकर पानी के जहाज से लाया गया यह कंप्यूटर वजन में बहुत ज्यादा भारी था। कि ISI के इंजीनियर्स को इस Tube बेस्ड कंप्यूटर में 1K memory इंस्टॉल करने में 2 महीने लग गए।


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फिर आया देश का दूसरा कंप्यूटर URAL

उस दौर में भी एक कंप्यूटर खरीदा गया और इसे 300 स्क्वायर फीट के एक एयर कंडीशन हॉल में फिट किया गया। HEC-2M के बाद साल 1958 में यूनाइटेड नेशन टेक्निकल असिस्टेंट बोर्ड द्वारा मिली ग्रांट द्वारा आईएसआई ने URAL नाम का एक 32 बिट कंप्यूटर खरीदा। HEC-2M के मुकाबले URAL को चलाने के लिए रूस से कंप्यूटर इंजीनियर्स की पूरी टीम आई थी। इन दो कंप्यूटर्स के साथ इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट भारत का कंप्यूटर सेंटर बन गया था क्योंकि यहां पर देश भर से तमाम साइंटिफिक प्रॉब्लम्स भेजी जाती थी। जिन्हें इन कंप्यूटर द्वारा प्रोसेस किया जाता था। इन प्रॉब्लम्स में रक्षा विभाग से लेकर अन्य विभागों के सरकारी आंकड़ों से महत्वपूर्ण रिजल्ट निकालने के लिए वैज्ञानिक और कंप्यूटर काफी दिमाग और समय खर्च करते थे।

 

 

 

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देश के पहले कंप्यूटर के साथ वैज्ञानिकों का था दिली जुड़ाव

Dwijish Dutta Majumdar बताते हैं कि इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट में HEC-2M के बाद URAL के आने से हम लोग बहुत खुश थे और हम देर रात तक इन पर काम करते थे। हमारा और इन कंप्यूटरों का जुड़ाव इतना मजबूत था जैसे कि वह हमारे घर के कोई पालतू सदस्य हों। इसमें भी HEC-2M से ज्यादा गहरा जुड़ाव था और ऐसा ही जुड़ाव बहुत सालों तक बना रहा जब तक कि साल 1964 में IBM कंपनी ने 1401 नाम का अपग्रेडेड कंप्यूटर यहां पर इंस्टॉल नहीं कर दिया। IBM के इस कंप्यूटर के इंस्टॉल होने के बाद भारत के पहले दो कंप्यूटर HEC-2M और URAL हमेशा के लिए सो गए।

 

आज कहां रखें है देश के ये पहले कंप्यूटर

यह बात आपको जरूर चौंका सकती है कि HEC-2M और URAL, भारत के ये पहले दो कंप्यूटर आजकल किसी म्यूजियम में नहीं बल्कि कबाड़खाने में रखे हुए हैं और ना ही इनके आसपास कोई खूबसूरत सजावट की गई है बल्कि यह इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट के एक पुराने गोडाउन में ढके हुए रखे हैं, जिन्हें अब कोई आसानी से देख नहीं सकता। HEC-2M कंप्यूटर जो एक दौर में पूरे देश में कंप्यूटिंग का सरताज हुआ करता था आज वो दुनिया की नजरों से ओझल एक कंप्यूटर लैब के कबाड़खाने में चिर निद्रा में सो रहा है। source

Posted By: Chandramohan Mishra