मंजिल उन्‍ही को मिलती है जिनके सपनो मे जान होती है पंखों से कुछ नही होता हौसलों से उड़ान होती है इन लाइनो को एक बांग्‍लादेशी फुटबालर ने सच कर के दिखाया है। बचपन मे हुए एक हादसे के दौरान इस फुटबालर ने अपने दोनो पैर गंवा दिए थे। पैर न होने के बाद भी इस इस फुटबालर का जज्‍बा कम नही हुआ। भगवान ने उसके पैर तो छीन लिए पर हुनर ना छीन सके। वह किसी मझे हुए खिलाड़ी की तरह फुटबाल खेलता है।

रेल हादसे मे पैर गवांने के बाद खेलते है फुटबॉल
बांग्लादेश मे रहने वाले मोहम्मद अब्दुला ने सात साल की उम्र मे एक रेल हादसे के दौरान अपने दोनो पैर गंवा दिए थे। हादसे मे अब्दुला के पैर तो चले गए पर उनका फुटबाल खेलने का हुनर समय के साथ निखरता गया। फुटबाल खेलने के जुनून ने पैर कटने के बाद भी अब्दुला का मैदान से दूर नही जाने दिया। अब अब्दुला पैरों मे स्पोटर्स शूज पहन कर किसी मझे हुए खिलाड़ी की तरह फुटबाल खेलते हैं। 2001 मे अब्दुला का पैर चलती ट्रेन से फिसल गया था। उनका पैर ट्रेन की पहियों के नीचे आ गया। गंभीर हालत मे उसे ढाका मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। इलाज के दौराना डॉक्टरों को अब्दुला के दोनो पैरों को काटना पड़ा। परिवार के किसी सदस्य के साथ ना होने पर अस्पताल ने उन्हे अनाथालय भेज दिया।

एनजीओ ने दिया सहारा तो फिर खड़े हुए अब्दुला
अब्दुला ने बताया जब उनके पिता ने दूसरी शादी की तो वह अपना घर छोड कर भाग निकले। कई महीने तक वो एक अनाथालय के स्कूल में पढ़े और फिर वहां से भी भाग निकले। अब्दुला ने बताया कि अनाथालय से भागने के बाद एक वक्त की रोटी खाने के लिए भी उन्हे दर-दर भटकना पड़ता था। लोग उनकी लाचार हालत देख कर उन्हे पैसे दे देते थे। कई सालों तक गली-गली घूमने के बाद अब्दुला अपनी दादी के साथ रहने लगा। अब्दुला ने बताया कि अपराजयो नाम के एक एनजीओ से जुड़ने के बाद उनकी जिंदगी मे काफी बदलाव हुए। उन्हे लोगों से हौसला मिला। अब्दुला ने अखबार लगाने का काम शुरु किया। समय बचाकर अब्दुला ने फुटबाल सीखना शुरु किया। कुछ सालों की जीतोड़ मेहनत के बाद अब्दुला फुटबाल खेलने मे माहिर हो गया।

 

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Posted By: Prabha Punj Mishra