दिवाली के दिन से ही शुरु हुआ भारत का सबसे प्राचीन संवत, पत्थरों से निकली थी ये कहानी
कानपुर। हम सभी ने हिजरी, विक्रम, ईसवी, शक संवत जैसे प्राचीन कैलेंडर्स के बारे में सुन और पढ़ रखा है। इनमें से कुछ का इस्तेमाल काफी आम हो गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में प्रचलित संवत में से कौन सा सबसे अधिक पुराना है। तो आइए जानते हैं, भारत के सबसे पुराने संवत से जुड़ी रोचक कहानी।
'वीर निर्वाण संवत' है सबसे पुरानाईसा से 527 वर्ष पूर्व कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपावली के दिन ही भगवान महावीर का निर्वाण हुआ था। उसके एक दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकम से भारतवर्ष का सबसे प्राचीन संवत 'वीर निर्वाण संवत' प्रारंभ हुआ था। यह हिजरी, विक्रम, ईसवी, शक आदि सभी संवत से भी अधिक पुराना है।
प्राचीन शिलालेख से हुई खोज
जैन परंपरा के प्राकृत तथा संस्कृत भाषा के प्राचीन ग्रंथों/पांडुलिपियों में तो इस बात के अनेक प्रमाण हैं ही। साथ ही पुरातात्विक साक्ष्यों से भी यह संवत सबसे अधिक प्राचीन सिद्ध होता है। राजस्थान के अजमेर जिले में भिनय तहसील के अंतर्गत वडली एक गांव है। सुप्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता डॉ. गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने 1912 में वडली के शिलालेख की खोज की थी। वडली के शिलालेख में वीर निर्वाण संवत का उल्लेख हुआ है। यह वीर शब्द महावीर स्वामी के लिए आया है। इस शिलालेख पर 84 वीर संवत लिखा है।
अजमेर के म्यूजियम में सुरक्षित है शिलालेखभगवान महावीर के निर्वाण के 84 वें वर्ष में यह शिलालेख लिखा गया। सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. राजबली पांडेय ने अपनी पुस्तक 'इंडियन पैलियो ग्राफी' के पृष्ठ 180 पर लिखा है कि 'अशोक के पूर्व के शिलालेखों में तिथि अंकित करने की परंपरा नहीं थी। वडली का शिलालेख तो एक अपवाद है।' अभी तक इस शिलालेख से पूर्व का कोई भी प्रमाण नहीं है, जो किसी और संवत की परंपरा को दर्शाता हो। फिलहाल यह शिलालेख अजमेर के संग्रहालय में सुरक्षित है।
डॉ. अनेकांत कुमार जैन