आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा सूबा है उत्‍तर प्रदेश। कहते हैं देश की राजनीति का रुख यहां बहने वाली हवा से तय होता है। inextlive.com की स्‍पेशल सीरीज में जानिए उनकी कहानी जिन्‍हें मिली इस सूबे के 'मुख्‍यमंत्री' की कुर्सी। आज हम बात करेंगे उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहे और फिर प्रधानमंत्री रहे वीपी सिंह की...


Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in@abhishek_awaazराजनीतिक उठापटक :उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) का राजनीतिक जीवन काफी चर्चा में रहा। सूबे के मुखिया के रूप में हो या फिर देश के सबसे बड़े ओहदे पर पहुंचने के बाद, वीपी सिंह ऐसे नेता थे जिनके काम और फैसले अक्सर विवादों में रहे। विश्वनाथ प्रताप सिंह का राजनैतिक सफर युवाकाल से ही प्रारंभ हो गया था। जल्द ही विश्वनाथ प्रताप भारतीय कॉग्रेस पार्टी से संबंधित हो गए थे। सन 1961 में वह उत्तर प्रदेश के विधानसभा में पहुंचे। कुछ समय के लिए उन्होंने उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार भी संभाला लेकिन जल्दी ही वह केंद्रीय वाणिज्य मंत्री बन गए।महत्वपूर्ण फैसले :
वीपी सिंह ने 9 जून 1980 से 18 जुलाई 1982 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला। मुख्यंमत्री रहने के बावजूद वीपी सिंह अक्सर कारों के काफिले से न चलकर मोटरसाइकिल से भ्रमण के लिए निकल जाते थे। 80 के दशक की बात है जब जून जुलाई की भयानक गर्मी में मोटर साइकिल पर सवार होकर उन्होने इलाहाबाद में चुनाव प्रचार किया था और अमिताभ बच्चन द्वारा इस्तीफा दिये जाने से खाली हुयी सीट पर हुये 1988 उपचुनाव में श्री लाल बहादुर शास्त्री के सुपुत्र श्री सुनील शास्त्री को हराया था। मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने बटमारी की समस्या को सुलझाने के लिए काफी प्रयास किये, उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम इलाकों के ग्रामीण भागों में यह समस्या गंभीर रूप से व्याप्त थी। इसके चलते उन्होंने बहुत से लोगों का भरोसा जीत लिया था और अपने इलाको में बहुत सी ख्याति प्राप्त कर ली थी। हालांकि कुछ समय बाद उन्होंने अपने पद से रिजाइन भी कर दिया था।उत्तर प्रदेश के वो मुख्यमंत्री, जिन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 10 हजार रुपये का इनाम रखा गयामहत्वपूर्ण बातें :1. एक राजनेता के अलावा वीपी सिंह एक बेहतरीन कवि, लेखक, पत्रकार और फोटोग्राफर भी थे।2. कांग्रेस से इस्तीफा देते समय उन्होंने एक कविता लिखी थी। 'तुम मुझे क्या खरीदोगे, मैं बिल्कुल मुफ्त हूँ'3. 77 साल की उम्र में दिल्ली के अपोलो हॉस्पीटल में वी. पी. सिंह का निधन हो गया।यूपी के वो मुख्यमंत्री जिनके सामने चुनाव लड़ने की किसी की हिम्मत नहीं हुई

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari