आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा सूबा है उत्‍तर प्रदेश। कहते हैं देश की राजनीति का रुख यहां बहने वाली हवा से तय होता है। inextlive.com की स्‍पेशल सीरीज में जानिए उनकी कहानी जिन्‍हें मिली इस सूबे के 'मुख्‍यमंत्री' की कुर्सी। आज हम बात करेंगे राम नरेश यादव की जो इतने स्‍वाभिमानी थे कि पद कोई भी रहा हो इस्‍तीफा हमेशा उनकी जेब में रहता था।


Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in@abhishek_awaazराजनीतिक उठापटक :उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय भले ही यादव परिवार का वर्चस्व रहा है। लेकिन पहले यादव राजनेता की बात करें तो मुलायम सिंह नहीं बल्िक एक जिद्दी राजनेता राम नरेश यादव का नाम आता है। उत्तर प्रदेश विशेषकर पूर्वांचल में राम नरेश की अच्छी खासी पैठ थी। उन दिनों पश्चिम में पिछड़ों के नेता के तौर पर मुलायम सिंह यादव और पूर्वांचल में राम नरेश यादव की खास पहचान थी। हलांकि रामनरेश यादव को मुलायम से बड़ा नेता माना जाता था। राम नरेश यादव ने छात्र जीवन से समाजवादी आन्दोलन में शामिल होकर अपने राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन की शुरूआत कर दी थी। आजमगढ़ जिले के गांधी कहे जाने वाले बाबू विश्राम राय जी का भरपूर सानिध्य मिला। महत्वपूर्ण फैसले :


रामनरेश यादव 23 जून 1977 को उत्तरप्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए। उनका कार्यकाल दो साल तक भी नहीं चला। मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंनें सबसे अधिक ध्यान आर्थिक, शैक्षणिक तथा सामाजिक दृष्टि से पिछड़े लोगों के उत्थान के कार्यों पर दिया तथा गांवों के विकास के लिये समर्पित रहे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों के अनुरूप ही उन्होंने उत्तरप्रदेश में अन्त्योदय योजना का शुभारम्भ किया। श्री यादव सन् 1988 में संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सदस्य बने एवं 12 अप्रैल 1989 को राज्यसभा के अन्दर डिप्टी लीडरशिप, पार्टी के महामंत्री एवं अन्य पदों से त्यागपत्र देकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।उत्तर प्रदेश के वो मुख्यमंत्री, जिन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 10 हजार रुपये का इनाम रखा गयाव्यक्ितगत जीवन :राम नरेश यादव का जन्म 1 जुलाई, 1928 ई. को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, ज़िले के गाँव आँधीपुर (अम्बारी) में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। इनका बचपन खेत-खलिहानों से होकर गुजरा। इनकी माता भागवन्ती देवी एक साधारण और धार्मिक विचारों वाली गृहिणी थीं और पिता गया प्रसाद जी महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. राममनोहर लोहिया के अनुयायी थे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के विद्यालय में ही हुई और इन्होंने हाईस्कूल की शिक्षा आजमगढ़ के मशहूर 'वेस्ली हाई स्कूल' से प्राप्त की। इन्टरमीडिएट, 'डी.ए.वी. कॉलेज', वाराणसी से और बी.ए., एम.ए. और एल.एल.बी. की डिग्री 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय', वाराणसी से प्राप्त की। राम नरेश यादव की शादी सन 1949 में हुई और उनके तीन बेटे और पांच बेटियां थीं।   

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari