आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा सूबा है उत्‍तर प्रदेश। कहते हैं देश की राजनीति का रुख यहां बहने वाली हवा से तय होता है। inextlive.com की स्‍पेशल सीरीज में जानिए उनकी कहानी जिन्‍हें मिली इस सूबे के 'मुख्‍यमंत्री' की कुर्सी। आज हम बात करेंगे हेमवती नंदन बहुगुणा की जिन्‍हें एक समय जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 10 हजार रुपये का ईनाम रखा गया था।


Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in@abhishek_awaazराजनीतिक उठापटक :


कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक हेमवती नंदन बहुगुणा का राजनीतिक करियर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। अपनी बात मनवाने के लिए नंदन बहुगुणा ने इंदिरा गांधी को भी नीचा झुका दिया था। अन्य नेताओं की तरह नंदन बहुगुणा ने भी स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था, साल 1942 में महात्मा गांधी के आवाहन पर बहुगुणा आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में कूदे। नंदन बहुगुणा की शख्सियत ऐसी थी कि अंग्रेजों के लिए वह बड़ी मुसीबत साबित हुए। आपको जानकर हैरानी होगी कि उस समय अंग्रेजों ने बहुगुणा को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए 10 हजार रुपये का ईनाम रखा था, जो कि एक खासी बड़ी रकम मानी जाती थी। इलाहबाद में रहते हुए स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान बहुगुणा आनंद भवन में जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के संपर्क में आए। यहीं से उनकी असल राजनैतिक पारी की शुरुआत हुई। पहली बार वर्ष 1952 में करछना विधानसभा का टिकट मिला जहाँ से वे भारी मतों से विजयी हुए, वे सच्चे मायनों में मजदूरों के नेता थे, जिन्होंने विधानसभा में हमेशा मजदूरों की आवाज बुलंद की।काम :

हेमवती नंदन बहुगुणा को अपनी कार्यकुशलता के चलते जाना जाता है। उन्होंने न सिर्फ खतरनाक पीएसी विद्रोह को सफलतापूरक कुचल दिया बल्कि उनके कार्यकाल में प्रदेश में कहीं शिया-सुन्नी झगड़े भी नहीं हुए और उत्तर प्रदेश का हर वर्ग और सम्प्रदाय उनका मुरीद बन गया। उनके जादुई नेतृत्व में उत्तरप्रदेश विकास की नयी बुलंदियों को छू रहा था वहीं राज्य के शिक्षक वर्ग को दिए गए फायदों जैसे लंबित प्रोमोशनो आदि के चलते उनकी चारों और वाह वाही होने लगी। उन्होंने कई महीनों से चल रहे शिक्षकों की हड़ताल को बखूबी हल किया। ऊपर से राज्य को विकास की पटरी पर लाये. फलस्वरूप मीडिया ने बहुगुणा की छवि एक सफलतम राष्ट्रीय नेता की बना दी। सबसे लंबे समय तक राज करने वाले यूपी के यह सीएम, जो कभी वोट मांगने नहीं गएकुछ रोचक बातें :1. साल 1984 में हेमवती नंदन बहुगुणा के खिलाफ अमिताभ बच्चन ने चुनाव लड़ा था। यही नहीं अमिताभ ने बहुगुणा को 1 लाख 87 हजार वोट से हराया। इसके बाद बहुगुणा कांग्रेस छोड़कर लोकदल में आ गए थे। 2. बहुगुणा की बाईपास सर्जरी फेल होने के चलते उनकी मृत्यु हुई।

कानपुर से चुनाव जीतकर ये उत्तर प्रदेश ही नहीं देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari