कभी चुनाव न हारने वाले यूपी के पहले मुख्यमंत्री जो प्रधानमंत्री भी बने
Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in
@abhishek_awaaz
राजनीतिक उठापटक :
भारतीय राजनीति में ऐसे बहुत कम मुख्यमंत्री हुए जो बाद में प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे। इस कड़ी में सबसे पहला नाम आता है देश के जाने-माने राजनेता चौधरी चरण सिंह का..राजनीति और कूटनीति में निपुण चरण सिंह का राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। वह मुख्यमंत्री भी बने और प्रधानमंत्री भी लेकिन कार्यकाल कभी पूरा नहीं कर सके। चरण सिंह के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1937 में हुई जब कांग्रेस की तरफ से उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता भी।
महत्वपूर्ण फैसले :
पंडित जवाहर लाल नेहरू से मनमुटाव के चलते चौधरी चरण सिंह ने सन 1967 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और एक नए राजनैतिक दल ‘भारतीय क्रांति दल’ की स्थापना की। राज नारायण और राम मनोहर लोहिया जैसे नेताओं के सहयोग से उन्होंने उत्तरप्रदेश में सरकार बनाई और 3 अप्रैल 1967 को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दोबारा 17 फ़रवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की। 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने।
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व्यक्ितगत जीवन :
चरण सिंह का जन्म एक जाट परिवार में 23 दिसम्बर, 1902 को यूनाइटेड प्रोविंस (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के नूरपुर गाँव में एक किसान परिवार में हुआ था। चौधरी चरण सिंह की प्राथमिक शिक्षा नूरपुर ग्राम में ही पूर्ण हुई, जबकि मैट्रिकुलेशन के लिए इन्हें मेरठ के सरकारी उच्च विद्यालय में भेज दिया गया। 1923 में 21 वर्ष की आयु में इन्होंने विज्ञान विषय में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर ली। दो वर्ष के पश्चात 1925 में चौधरी चरण सिंह ने कला स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की। फिर कानून की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने गाज़ियाबाद में वक़ालत करना आरम्भ कर दिया। 29 मई 1987 को उनका निधन हो गया।
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