केंद्रीय मंत्री जो बिना चुनाव जीते बन गए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in
@abhishek_awaaz
राजनीतिक उठापटक :
उत्तर प्रदेश की राजनीति सिर्फ एक राज्य तक ही सीमित नहीं होती। यहां के राजनेता केंद्र सरकार को हिलाने का माद्दा रखते आए हैं। ऐसे ही एक राजनेता थे त्रिभुवन नारायण सिंह जो पहले से केंद्रीय मंत्री थे लेकिन यूपी में सियासत की ऐसी बिसात बिछी कि बिना चुनाव जीते ही टीएन सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई। इतिहास के पन्नों को पलटे तो समझ में आता है कि त्रिभुवन सिंह राजनीति में आने से पहले स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे। आजादी के बाद देश में जब राजनीति की नींव रखी जा रही थी तब टीएन सिंह एक कुशल राजनेता के रूप में उभर रहे थे। त्रिभुवन सिंह का राजनीति जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। टीएन ने पहले केंद्रीय मंत्री, फिर मुख्यमंत्री और अंत में राज्यपाल तक का सफर तय किया।
नेता जी की पत्नी का जानते थे
त्रिभुवन सिंह द्वारा लिखा गया एक पत्र इस समय चर्चा का विषय बना है। टीएन सिंह ने यह पत्र सितंबर 1979 में लिखा था जिसमें कई बड़े-बड़े दावे किए हैं। टीएन सिंह के पोते एएन सिंह ने यह पत्र सार्वजनिक करते हुए कहा कि उनके दादा यानी टीएन सिंह ने सुभाषचंद्र बोस से जुड़े कुछ राज उजागर किए थे। इस पत्र में लिखा था कि, सुभाष चंद्र बोस यानी नेताजी ने एक विदेशी लड़की से शादी की और उनकी बेटी भी थी। और यह बात सरदार वल्लभभाई पटेल को भी पता थी।
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व्यक्ितगत जीवन :
त्रिभुवन सिंह का जन्म 8 अगस्त 1904 को वाराणसी में हुआ था। उनकी पढ़ाई-लिखाई बनारस के शास्त्री काशी विद्यापीठ में हुई। त्रिभुवन सिंह बचपन से ही तेज दिमाग के थे, यही वजह है कि उन्होंने राजनीति, पत्रकारिता, शिक्षा एवं समाजसेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह एक योग्य एवं सफल शिक्षक रहे। टीएन सिंह साल 1979 से लेकर 1981 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे और आखिर में 3 अगस्त 1982 को उनका निधन हो गया।
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