उत्तर प्रदेश की इस महिला मुख्यमंत्री को डीएम से लड़ने पर जेल भेज दिया गया था
Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in@abhishek_awaazराजनीतिक उठापटक :कलेक्टर बनने का सपना लिए दिन-रात पढ़ाई में मगन रहने वाली मायावती ने कभी नहीं सोचा था कि वो राजनेता बन जाएंगे। पढ़ाई में तेज होने के चलते मायावती ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और एक आईएएस अधिकारी बनकर देश सेवा का सपना देखा। कहते हैं न किस्मत से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता। बात 80 के दशक की है जब मायावती के प्रतिभा के बारे में कांशीराम जी को पता चला तो वह सीधे मायावती के घर उनसे मिलने पहुंचे। तब दोनों के बीच बातचीत के दौरान कांशीराम को पता चला कि मायावती कलेक्टर बनकर अपने समाज के लोगों की सेवा करना चाहती हैं, तो उन्होंने मायावती से कहा कि मैं तुम्हें मुख्यमंत्री बनाऊंगा और तब तुम्हारे पीछे एक नहीं कई कलेक्टर फाइल लिए तुम्हारे आदेश का इंतजार करेंगे।
गेस्ट हाउस कांड रहा सबसे चर्चित
साल 1993 में बसपा और सपा ने मिलकर सरकार बनाई थी और मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। 1 जून 1995 को मुलायम सिंह को ये खबर मिली की मायावती ने गवर्नर मोतीलाल वोहरा से मिलकर उनसे समर्थन वापस ले लिया है और वह बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने वाली हैं। तो मुलायम हैरान रह गए। 2 जून 1995 को मायावती लखनऊ के स्थित गेस्ट हाऊस के कमरा नंबर-1 में पार्टी नेताओं के साथ अगामी रणनीति तय कर रहीं कि तभी करीब दोपहर 3 बजे अचानक गुस्साए सपा कार्यकर्ताओं ने गेस्ट हाऊस पर हमला बोल दिया। घबराई मायावती ने इस दौरान पार्टी नेताओं के साथ स्वंय को इस गेस्ट हाउस में घंटों का बंद कर लिया। इस घटना ने प्रदेश की राजनीति का रूख हमेशा के लिए बदल दिया। गेस्ट हाऊस कांड के तीसरे दिन यानी 5 जून 1995 को बीजेपी के सहयोग से मायावती ने पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। और कांशीराम ने वो अपना सपना पूरा कर किया जो कभी उन्होंने मायावती को दिखाया था। इस समय मायावती की उम्र महज 39 साल की थी। यह एक ऐतिहासिक पल जब था जब देश की प्रथम दलित महिला मुख्यमंत्री बनीं थी।
मायावती एकमात्र ऐसी राजनेता हैं जिन्होंने महापुरुषों के नाम पर जिलों के नाम बदले ही खुद अपने नाम का एक भी एक जिला घोषित कर दिया। उन्होंने हाथरस का नाम बदलकर महामाया नगर कर दिया था। साल 2007 के बाद मायावती का कई विवादों में नाम आया। चाहे वह नोटों की माला पहनने का हो या फिर विदेश से अपने सैंडल मंगवाने का। मायवती हमेशा सूट क्यों पहनती हैं इसके पीछे भी एक कहानी है। बताया जाता है कि साल 1992 में एक कार्यकर्ता ने मायावती को सूट गिफ्ट किया था, तब से लेकर आज तक उन्होंने सूट के अलावा और कोई ड्रेस नहीं पहनी।सिर्फ 19 दिन सीएम कुर्सी पर बैठने के लिए चुनाव लड़े थे यूपी के यह मुख्यमंत्री
मायावती नैना कुमारी का जन्म 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रभुदास और माता का नाम रामरती था। मायावती का संबंध गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव 'बादलपुर' से है। उनके पिता प्रभुदास, गौतमबुद्ध नगर के ही डाक विभाग में कार्यरत थे। आर्थिक दृष्टि से पिछड़े परिवार से संबंधित होने के बावजूद इनके अभिभावकों ने अपने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा। मायावती ने 'दिल्ली विश्वविद्यालय' के 'कालिंदी कॉलेज' से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। इसके अतिरिक्त उन्होंने 'दिल्ली विश्वविद्यालय' से एल.एल.बी. की परीक्षा और 'वी.एम.एल.जी. कॉलेज', गाजियाबाद ('मेरठ यूनिवर्सिटी') से बी.एड. की उपाधि प्राप्त की। राजनीति में आने से पहले मायवती एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका थीं। मायावती अविवाहित हैं और 'बहन जी' नाम से मशहूर हैं।उत्तर प्रदेश के वो मुख्यमंत्री जिनकी कुर्सी पर रात 10 बजे कब्जा हो गया