सिंगापुर में गर्मी के कारण बदली है पुलिस की वर्दी, पर भारतीय पुलिस की खाकी वर्दी के पीछे छिपा है यह राज!
पुलिस की वर्दी ही है उसकी पहचान
भारत में जनता भले ही पुलिस को कितना ही कोसे, लेकिन उसके बिना तमाम कामों को ठीक ढंग से चलाना और अपराध पर कंट्रोल करना नामुमकिन सा लगता है। पुलिसकर्मियों को दूर से देखकर ही पहचाना जा सके, इसके लिए उन्हें एक खास तरह की यूनीफॉर्म दी जाती है। तभी तो अपराधी किस्म के लोग खाकी ड्रेस पहने किसी भी व्यक्ति को देखकर ही पीछे हट जाते हैं। जिस वर्दी से ही भारतीय पुलिस की पहचान है, उसका रंग आखिर खाकी क्यों है। इस बारे में बहत सारे लोग नहीं जानते। तो जरा खाकी के पीछे की इंट्रेस्टिंग कहानी भी जान लीजिए। पढिए आगे.... ब्रिटिश शासन में पुलिस की वर्दी थी सफेदरात दिन जनता के लिए काम करने वाली पुलिस को वक्त बेवक्त लगातार बिना किसी वीकली ऑफ के ड्यूटी पर रहना होता है। ऐसे में उनकी वर्दी का एक दिन में गंदा हो जाना आम बात है। बता दें कि भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान पुलिस की वर्दी का रंग झकाझक सफेद हुआ करता था। रंग तो बहुत अच्छा था, लेकिन वो यूनीफॉर्म एक ही दिन में बहुत गंदी हो जाती थी, जिससे पुलिस कर्मियों को खराब महसूस होता था।
जल्दी गंदी न हो, इसके लिए सफेद से मटमैले रंग की हो गई पुलिस की वर्दी
ऐसे में अपने गंदी वर्दी के दाग छुपाने के लिए पुलिस कर्मियों ने अपनी ड्रेस को तमाम अजीब अजीब रंगों से रंगना शुरु कर दिया। जब अफसरों तक यह बात पहुंची तो उन्होंने खाक यानि गंदी मिट्टी के रंग वाली डाई बनवाई और उससे पुलिसकर्मियों की वर्दी रंगवा दी। कहीं कहीं तो चाय की पत्तियों का पानी डालकर भी वर्दी का कलर बदलने की कोशिश की गई। बता दें के खाकी रंग हल्के पीले और भूरे रंग का मिलाजुला रूप है। इस रंग की खासियत यह है कि धूल मिट्टी से लगने वाले दाग इस वर्दी पर नजर नहीं आते और वर्दी गंदी होने पर भी साफ नजर आती है। भारत में पुलिस की खाकी वर्दी का क्या है इतिहास?बता दें कि वरिष्ठ अंग्रेज अधिकारी सर हैरी लम्सडेन (Sir Harry Lumsden) ने भारत में पहली बार 1847 में खाकी रंग की वर्दी को पुलिस विभाग पर लागू करवाया। हालांकि यह खाकी वर्दी लागू कराने के पीछे भी एक कहानी है। सन 1847 से पहली बार लागू हुई खाकी वर्दीदरअसल एक अंग्रेज अधिकारी सर हेनरी लॉरेंस जो लाहौर में नोर्थ वेस्ट फ्रंटियर के गवर्नर एजेंट थे। उन्होंने Corps of Guides के नाम से एक नई फोर्स 1846 में बनाई थी। यह फोर्स, ब्रिटिश भारतीय सेना की एक रेजीमेंट की तरह देश की उत्तर-पश्चिम सीमा के आसपास अपनी सेवाएं देती थी। बाद में सर हैरी लम्सडेन को इस नई फोर्स का कमांडेंट बनाकर सैनिकों की संख्या बढ़ाने की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई। सर हैरी लम्सडेन के प्रयासों से सबसे पहले इस फोर्स के सैनिकों की वर्दी का रंग खाकी किया गया। इसके बाद आर्मी और पुलिस विभाग को भी यह रंग खूब भाया। जिस कारण सभी ने खाकी वर्दी को अपना लिया, जो भारत के पुलिस विभागों में आज भी वैसी ही इस्तेमाल की जा रही है।