यूपी के सबसे बुजुर्ग मुख्यमंत्री, जो अपने ही मंत्रियों के भूल जाते थे नाम
Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in@abhishek_awaazराजनीतिक उठापटक :राजनीति कब, कौन सा रंग दिखाएगी यह कोई नहीं जान सकता। नेता पूरी जिंदगी रणनीति और कूटनीति बनाते रहते हैं फिर भी मुख्यमंत्री जैसे पद पर पहुंचना उनके लिए अधूरा सपना सा रहता है। वहीं कुछ किस्मत के धनी हैं जिनके पास सीएम की कुर्सी खुद चलकर आती है। ऐसे ही नेता हैं राम प्रकाश गुप्ता भी, जो 76 साल की उम्र में यूपी के मुख्यमंत्री बने। जिस समय उन्हें मुख्यमंत्री पद सौंपा गया, उस वक्त भाजपा में कई और बड़े चेहरे थे मौका राम प्रकाश के हाथ आया।
एक साल से भी कम राज्य के मुख्यमंत्री रहे राम प्रकाश जी काफी भुलक्कड़ भी थे। उन पर पार्टी नेताओं ने भुलक्कड़ शैली और अकर्मण्यता के आरोप लगाए। इस दौरान उनके कई किस्से भी मशहूर हो गए कि किस तरह से वे अपने ही मंत्रिमंडल के सदस्यों के नाम भूल जाया करते थे। यही नहीं स्पीच के दौरान बोलना कुछ और था, वो कह कुछ और जाते थे। बहरहाल, पार्टी में उनके प्रति बढ़ते असंतोष और आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा ने एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन का फ़ैसला किया। राज्य की सत्ता संभालने के एक साल के भीतर ही पार्टी आलाकमान ने गुप्ता को इस्तीफा देने का आदेश दिया और 28 अक्टूबर 1999 को राजनाथ सिंह ने कुर्सी संभाल ली।सिर्फ 19 दिन सीएम कुर्सी पर बैठने के लिए चुनाव लड़े थे यूपी के यह मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश की इस महिला मुख्यमंत्री को डीएम से लड़ने पर जेल भेज दिया गया था
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