भारत पर 2008 में हुए आतंकी हमलों के बारे में एक नया खुलासा हुआ है. एक विदेशी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार भारत अमेरिका और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों को इस हमले की भनक लग गई थी लेकिल एजेंसियां प्राप्‍त खुफिया संकेतों को डिकोड करने में नाकाम रहीं.


एडवर्ड स्नोडेन का नया खुलासापूर्व अमेरिकी जासूस एडवर्ड स्नोडेन के ताजा खुलासे के अनुसार साल 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमलों को रोका जा सकता था. रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका, ब्रिटेन और भारत की खुफिया एजेंसियों को मुंबई हमलों से जुड़ी जानकारियां हमले के काफी पहले से मिलना शुरू हो गईं थीं. लेकिन यह तीनों एजेंसियां खुफिया संकेतों से मिलने वाली जानकारी को डिकोड नहीं कर सके. रिपोर्ट कहती है कि मुंबई हमलों के बारे में मिली सूचनाओं से इलेक्ट्रॉनिग निगरानी की ताकत तो पता चलती है लेकिन इससे यह भी साफ हुआ है कि कंप्यूटर से निगरानी अभेद नही हो सकती. इंटरनेट निगरानी से मिलती हैं जानकारियां
इस रिपोर्ट में स्नोडेन ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं लेकिन इन पर ध्यान ना देने से जरूरी प्रमाणों के गुम होने का खतरा बढ़ जाता है. उल्लेखनीय है कि तीनों देशों की सुरक्षा एजेंसियों को मुंबई हमले से जुड़ी जानकारियों के अलग-अलग हिस्से प्राप्त हुए थे. लेकिन यह एजेंसियां इलेक्ट्रॉनिक निगरानी से प्राप्त तथ्यों की तह तक नही जा सकीं. गौरतलब है कि भारत और ब्रिटिश सुरक्षा एजेंसी लश्कर आतंकी जर्रार शाह की हर ऑनलाइन एक्टिविटी पर निगरानी रख रही थी. इसके साथ ही सितंबर 2008 में ब्रिटिश जासुसों ने शाह की ट्रेकिंग भी की थी. अमेरिका को अपने आप मिली जानकारीइस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी खुफिया एजेंसी जर्रार शाह को ट्रेक नही कर रही थी लेकिन इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के कारण शाह की गतिविधियों की जानकारी अमेरिका को मिल गई. लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने शाह की गतिविधियों को डिकोड नही किया. हालांकि अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने भारत को हमले के पहले कई बार आगाह किया था.

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Posted By: Prabha Punj Mishra