अगर एशियाई विकास बैंक के अनुमान पर बिलीव करें तो भारत की वृद्धि दर चीन की वृद्धि को पार करके नए फाइनेंशियल इयर में बढ़कर 7.8 परसेंट हो जाएगी.


एडीबी का ये भी मानना है कि 2015-16 में चीन को सरपास करने के बाद 2016-17 में यह 8.2 परसेंट तक हो जाएगी. एडीबी की एशियाई विकास दृष्टिकोण नाम की बैंक की एन्युअल रिर्पोट में कहा गया है कि सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर में जो सुधार किए हैं और एक्स टर्नल डिमांड में जो बढ़ोत्तरी हुई है उससे भारत की ग्रोथ और इंवेस्टर का भरोसा बढ़ेगा. एडीबी का मानना है कि भारत की ग्रोथ रेट चालू वित्त वर्ष में 7.4 परसेंट, जबकि 2015-16 में बढ़ककर 7.8 प्रतिशत और 2016-17 में 8.2 प्रतिशत हो जाएगी. चीन के संबंध में एडीबी ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष में उसकी आर्थिक वृद्धि चालू वित्त वर्ष में 7.4 प्रतिशत रहेगी, जो अगले वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत और 2016-17 में सात प्रतिशत ही रह जाएगी.
एडीबी के चीफ इकोनॉमिस्टर के अनुसार हो सकता है कि भारत अगले कुछ सालों में चीन से ज्यादा तेजी से ग्रोथ शो करे. एक्स्पर्टस का मानना है कि सरकार का इंवेस्टर्स के फेवर में एटिट्यूड, फिसिकल और करेंट अकाउंट के घाटे में सुधार और स्ट्रेक्चरल प्राब्लम्स को दूर करने के लिए की गई पहलों से कारोबारी माहौल सुधारने में मदद मिली और भारत घरेलू और विदेशी दोनों किस्म के निवेशकों के लिए वेल्युबल आप्शन बन गया. हालाकि अभी कई चेलेंजेस फेस करने होगे.  एडीबी का अनुमान हालांकि भारत सरकार की अगले माह, अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2015-16 के लिए अनुमानित 8-8.5 प्रतिशत की वृद्धि से कम है. यह अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के 7.5 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है. एडीबी ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी नीतिगत चुनौती है शहरों को आर्थिक वृद्धि तथा रोजगार का जरिया बनने के लिए प्रोत्साहित करना.

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Posted By: Molly Seth