विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्‍छाई की जीत के लिए मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंकेश रावण का वध किया था। पूरे भारत में इस दिन दशहरा मनाया जाता है। रावण के पुतले जलाए जाते हैं। दशानन भगवान शिव का परम भक्‍त था। कहते हैं कि रावण जैसा प्रकांड विद्धान विश्‍व में पुन: पैदा नहीं हुआ। हम आप को उन पांच मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां विजयादशमी के दिन प्रभु श्री राम की नहीं दशानन रावण की पूजा होती है।

 

 

1- उत्तरप्रदेश के ग्रेटर नोयडा जिले के बिसरख गांव में भी रावण का मंदिर निर्माणाधीन है। मान्यता है कि गाजियाबाद शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर गांव बिसरख रावण का ननिहाल था। नोएडा के शासकीय गजट में रावण के पैतृक गांव बिसरख के साक्ष्य मौजूद नजर आते हैं। इस गांव का नाम पहले विश्वेशरा था जो रावण के पिता विश्रवा के नाम पर पड़ा था। अब इस गांव को बिसरख के नाम से जाना जाता है।

3- हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बैजनाथ कस्बा है। बैजनाथ में बिनवा पुल के पास रावण का मंदिर है। मंदिर में शिवलिंग व उसी के पास एक बड़े पैर का निशान है। रावण ने एक पैर पर खड़े होकर इसी स्थान पर तपस्या की थी। शिव मंदिर के पूर्वी द्वार में खुदाई के दौरान एक हवन कुंड भी निकला था। इस कुंड के समक्ष रावण ने हवन कर अपने नौ सिरों की आहुति दी थी। मान्यता है कि इस क्षेत्र में रावण का पुतला जलाया गया तो उसकी मौत निश्चित है। रावण ने बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था।

5- कानपुर के शिवाला में रावण का एक मंदिर है। साल में एक बार ही इस दशानन मन्दिर के पट खुलते है। शहर के बीचो-बीच शिवाला स्थित कैलाश मंदिर में दशानन का सैकड़ो वर्ष पुराना मन्दिर है। जहां बाकी सभी राम की पूजा करते हैं वहीं इस मंदिर में दशहरे के दिन रावण की पूजा होती है।

 

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Posted By: Prabha Punj Mishra