भूकंप के बाद नेपाल की राजधानी काठमांडू से आनेवाली तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं.
यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल 'दरबार स्क्वॉयर' मलबे में तब्दील हो चुका है. मशहूर धरहरा टॉवर धाराशायी हो गया है.ऐवरेस्ट बेसकम्प पूरी तरह नष्ट हो चुका है.दरअसल भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के यूरेशिनय टेक्टोनिक प्लेट (मध्य एशियाई) के नीचे दबते जाने के कारण हिमालय बना है.पृथ्वी की सतह की ये दो बड़ी प्लेटें क़रीब चार से पांच सेंटीमीटर प्रति वर्ष की गति से एक दूसरे की ओर आ रही हैं.इन प्लेटों की गति के कारण पैदा होने वाले भूकंप की वजह से ही एवरेस्ट और इसके साथ के पहाड़ ऊंचे होते गए.आशंका इस बात की है कि इस भूकंप के मामले में भी मरने वालों की संख्या बहुत ज़्यादा होगी.नेपाल के लिए डरयह सिर्फ इसलिए नहीं है कि भूकंप की तीव्रता बड़ी थी- रिक्टर स्केल पर 7.8 की तीव्रता.
बल्कि चिंता इस बात की है कि इस भूकंप का केंद्र बहुत उथला था- लगभग 10 से 15 किलोमीटर नीचे.
अनुमान यह है कि इस इलाक़े की अधिकांश आबादी ऐसे घरों में रह रही है, जो किसी भी भूकंप के लिए सबसे ज़्यादा ख़तरनाक़ हैं.
भूस्खलन का ख़तरा
पहले के अनुभवों को देखते हुए सबसे बड़ी चिंता होगी भूस्खलन की आशंका.
भूकंप के बाद पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद का नज़ाराउपरोक्त, बाद के दो भूकंप काफ़ी विनाशकारी थे. इनमें 1,00,000 लोग मारे गए और दसियों लाख बेघर हो गए थे.
दिल्ली तक होता असरपल्लव बागला का कहना है कि 7.9 तीव्रता का भूकंप एक बड़ा भूकंप है और वैज्ञानिक ऐसे किसी बड़े भूकंप का पहले से ही अनुमान लगा रहे थे, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि यह कब आएगा.
उनके अनुसार, इस इलाक़े में पिछले पांच सौ सालों से प्लेटों के बीच तनाव बढ़ रहा था. वैज्ञानिक आठ से अधिक तीव्रता के भूकंप की आशंका जता रहे थे.बागला के मुताबिक़, अगर इसकी तीव्रता आठ तक होती तो इसका असर दिल्ली तक होता.
Posted By: Satyendra Kumar Singh