भारतवंशी सिख ने अमेरिकी सेना ने जीती जंग, मिली दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने की इजाजत
खत्म हुई जंग
फिलहाल इस फैसले के बाद व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता अधिकारों और एकरूपता व सख्त सुरक्षा मानकों की जरूरत के सेना के कथन के बीच चल रही लड़ाई खत्म हो गई है। एक और रिपोर्ट के अनुसार सिमरतपाल सिंह का कहना है कि वह अपने देश की उसी तरह सेवा करते हैं, जैसा वह चाहते हैं और इसी के साथ वह उसी प्रकार सिख होने का धर्म भी निभा सकते हैं, जैसे वह चाहते हैं।
2006 में हुए थे शामिल
बता दें कि 28 वर्षीय सिंह जब 2006 में 'वेस्ट पॉइंट' सैन्य अकादमी में शामिल हुए थे, उस समय उन्हें अपने बाल कटवाने पड़ते थे। इतना ही नहीं उन्हें दाढ़ी रखने की इजाजत भी नहीं थी। सिंह ने बताया कि यह उनके लिए बेहद कष्टदायी है। इस क्रम में उन्होंने कहा कि अपनी जिंदगी के 18 साल तक जब आपकी अपनी कोई पहचान होती है और अचानक 10 मिनट में ही उसको तोड़ दिया जाए, तो कैसा लगता है।
अब बन चुके हैं आर्मी रेंजर
फिलहाल अब सिंह एक आर्मी रेंजर बन चुके हैं। वह 'ब्रॉन्ज स्टार मेडल' विजेता हैं। ऐसे में 10 साल बाद उन्होंने अपनी पुरानी छवि को वापस पाने के लिए अक्टूबर में अमेरिकी सेना से पगड़ी और दाढ़ी रखने की इजाजत मांगी है। इस तरह के भेदभाव के मुकदमे के बाद सेना ने उन्हें दिसम्बर में स्थायी तौर पर इसकी इजाजत दे दी थी। इस क्रम में बताया गया है कि फरवरी में स्थायी इजाजत की अवधि के समाप्त होने पर सेना ने कैप्टन सिंह को यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक परीक्षण से गुजरने को कहा था कि उनकी दाढ़ी और बाल के कारण उनके हेलमेट और गैस मास्क पहनने में कोई परेशानी नहीं होगी।